इजराइल और फिलीस्तीन के बीच शांतिदूत की भूमिका में नजर आ सकता है भारत

इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जारी जंग मिडल ईस्ट के कई देशों को प्रभावित कर रही है। ऐसे में इन दोनों देशों के बीच शांति व्यवस्था स्थापित करने के लिए भारत को आगे आना पड़ सकता है।अगर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल के प्रधानमंत्री से बात करें तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि इजरायल के द्वारा युद्ध समाप्त न किया जाए।

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इजराइल और फिलिस्तीन के बीच चल रही जंग का असर अब मिडिल ईस्ट के देशों पर पड़ने लगा है। ऐसे में इन दोनों देशों के बीच में शांति स्थापित करने के लिए हिंदुस्तान को आगे आना पड़ सकता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के बीच जिस प्रकार के संबंध हैं उसने यह बात साफ होती है कि अगर भारत शांति की पहल के लिए आगे बढ़ता है तो इजराइल भारत के प्रस्ताव पर विचार अवश्य करेगा।

हालांकि पिछले पांच दिनों से इजराइली सेना और फ़लस्तीनी चरमपंथियों के बीच संघर्ष जारी है। इजराइल ने गाज़ा में अपनी कार्रवाई तेज़ कर दी है,तो वहीं फ़लस्तीनी इजरायल के शहरों में रॉकेट दाग रहे हैं। इस बीच इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा है कि इजराइली सेना गाज़ा में जब तक ज़रूरी होगा, सैन्य कार्रवाई करती रहेगी। शुक्रवार सुबह उन्होंने एक बयान में कहा कि “हमास को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी”।वहीं हमास के सैन्य प्रवक्ता ने कहा है कि इजरायली सेना ने अगर ज़मीनी सैन्य कार्रवाई करने का फ़ैसला किया तो वो उसे “कड़ा सबक” सिखाने के लिए तैयार हैं।

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