भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं। भारतीय संविधान में 22 प्रमुख भाषाओं का जिक्र किया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं भारत के किसी एक ऐसे गांव के बारे में सुना है जहां के लोग आज के समय में भी संस्कृत भाषा को आम बोलचाल में प्रयोग करते है? जी हां आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने वाले हैं जहां का हर व्यक्ति संस्कृत भाषा बोलता है। कर्नाटक में शिवमोग्गा शहर के पास एक ऐसा गांव स्थित है जहां का बच्चा-बच्चा संस्कृत बोलता है। इस गांव का नाम है मत्तुर।
आपको बता दें कि इस गाँव में कुल करीब 500 परिवार रहते हैं और यहां की जनसंख्या करीब 2800 है। इस गांव में संस्कृत प्राचीनकाल से ही बोली जाती है। 1981-82 तक इस गाँव में राज्य की कन्नड़ भाषा ही बोली जाती थी। कई लोग तमिल भी बोलते थे, क्योंकि पड़ोसी तमिलनाडु राज्य से बहुत सारे मज़दूर क़रीब 100 साल पहले यहाँ काम के सिलसिले में आकर बस गए थे। लेकिन 33 साल पहले पेजावर मठ के स्वामी ने इसे संस्कृत भाषी गाँव बनाने का आह्वान किया, जिसके बाद गाँव के लोग संस्कृत में ही बातचीत करने लगे। इस गाँव में 10 साल का पूरा हो जाने पर बच्चों को वेदों का शिक्षण दिया जाता है।
इस गांव में रहने वाले बुजुर्गों का कहना है कि वर्ष 1980 से ही यह गांव संस्कृत को अपने दिल में उतार चुका है. इन बुजुर्गों का कहना है कि संस्कृत कभी कश्मीर से कन्याकुमारी और द्वारका से नेपाल तक बोली जाती थी, आज गांव वालों के लिए ये भाषा सबसे अनमोल धरोहर है। इस गांव की एक सबसे बड़ी विशेषता है कि इस गांव में प्रत्येक घर से एक न एक व्यक्ति इंजीनियर अवश्य करना है। अगर आप भी संस्कृत भाषा सीखना चाहते हैं तो आप इस गांव में आकर रह सकते हैं यहां पर आप को निशुल्क कुछ संस्कृत सिखाई जाएगी। लेकिन उसकी शर्त यह है कि आपको यही रहना होगा।