अर्नब गोस्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा बयान, “अर्णब गोस्वामी को जमानत न देकर हाईकोर्ट ने की गलती”

अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ सिंह ने कहा है, "यह देखने की खासतौर से जरूरत है कि क्या आरोपी भाग सकता है? क्या आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है? उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला एक नागरिक की स्वतंत्रता का है। मुंबई हाईकोर्ट एक नागरिक की स्वतंत्रता की रक्षा करने का अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम रहा।

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अर्नब गोस्वामी का नाम इस समय कौन नहीं जानता है?पिछले दिनों महाराष्ट्र सरकार के षड्यंत्र के तहत उन्हें जेल में डाल दिया गया था बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें रिहा किया गया। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर बड़ा बयान दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ सिंह ने कहा है,”यह देखने खास आवश्यकता है कि क्या आरोपी भाग सकता है? क्या वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है? उन्होंने कहा कि यह मामला एक नागरिक की स्वतंत्रता का है और मुंबई हाईकोर्ट एक नागरिक की स्वतंत्रता की रक्षा करने का अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम रहा… क्योंकि जिस व्यक्ति ने शिकायत की है वह टीवी चैनल में अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए महाराष्ट्र सरकार के निशाने पर है। ” इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा,”किसी भी नागरिक के खिलाफ कोई भी राज्य आपराधिक कानूनों का इस्तेमाल करके उसे परेशान नहीं करें यह सभी अदालतों को सुनिश्चित करना होगा।”

हम आपको बता दें टीवी के editor-in-chief अर्णब गोस्वामी जब जेल से बाहर आए थे तो उन्होंने कहा था कि हम सुप्रीम कोर्ट के आभारी हैं!.. गोस्वामी ने विजय चिन्ह प्रदर्शित करते हुए कहा था कि यह भारत के लोगों की जीत है… शीर्ष अदालत ने इससे पहले उन्हें अंतरिम जमानत प्रदान करते हुए कहा था कि यदि व्यक्तिगत स्वतंत्रता को कमतर किया जाएगा तो यह न्याय का उपहास होगा … न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की शीतावकाशकालीन पीठ ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाना चाहती हैं तो उन्हें इस बात का एहसास होना चाहिए कि नागरिकों की सुरक्षा तथा रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय है । पीठ ने निर्देश दिया था कि वे साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और जांच में सहयोग करेंगे।

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