कोरोना वायरस से लड़ने के लिए आईआईटी दिल्ली के छात्रों ने बनाया सस्ता मास्क कवच

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प्रतीकात्मक चित्र

कोरोना से लड़ने के लिए आईआईटी दिल्ली के छात्रों ने बेहद सस्ता मास्क कवच तैयार किया है। जो बाजार में मिलने वाले मास्क से कहीं बेहतर है। आईआईटी दिल्ली के स्टार्टअप के तहत इन छात्रों ने यह मास्क बनाया है, यह मास्क मेड इन इंडिया थीम पर आधारित है। जिसकी कीमत मात्र 45 रुपये है। आईआईटी के टेक्सटाइल इंजीनियरिंग के छात्रों ने जो मास्क बनाया है, वह बाजार में खरीदे जाने वाले एन 95 मास्क से बहुत सस्ता है। ये मास्क काफी चुस्त है और इसमें वायरस के किसी कोने से घुसने की संभावना नही है। इस मास्क का नाम है – कवच। यह मास्क 98 प्रतिशत सुरक्षा (3 माइक्रोन के पार्टिकल, ASTM F 2101) देता है। इस मास्क को भारत सरकार की मान्यता प्राप्त लैबोरटरी में जांचा-परखा गया है। कवच मॉस्क हर प्रकार के चेहरे के डिजाइन और साइज का बनाया गया है।

प्रोफेसर बिपिन कुमार ने कहा कि भारत में कई बड़ी चुनौतियां हैं – ऐसी चीजें बनाना जिसे एक से अधिक बार यूज किया जा सके, जिसका निस्तारण आसान हो और जिसे आम आदमी खरीद भी सके, यह समय की माँग है। पीपीई के निपटान (including mask and coveralls) एक समय के उपयोग के बाद और पीपीई बनाने के लिए गैर-बुना प्रौद्योगिकी का न्यूनतम उपयोग सुनिश्चित करना। हालांकि एक गैर-बुना परत वांछित निस्पंदन स्तर सुनिश्चित करने के लिए होनी चाहिए, लेकिन ढीली रेशेदार संरचना एक उपयोग के बाद उत्पाद को डिस्पोजेबल बनाती है। सिंथेटिक पॉलीप्रोपाइलीन के गैर-बुने जाने से पर्यावरण पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। अन्य कपड़ा समाधान ढूंढना जो पुन: प्रयोज्य, बायोडिग्रेडेबिलिटी प्रदान करता है। पीपीई के लिए सामर्थ्य और मापनीयता समय की आवश्यकता है, इससे मांग को पूरा करना और हमारे पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सकती है।इटेक्स नामक स्टार्टअप से जुड़े छात्र इस मास्क को दोबारा इस्तेमाल करने लायक और धोने लायक भी बना रहे हैं ताकि कम से कम दस बार इसका फिर से इस्तेमाल हो सके।

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