भारत में बहुत सारे ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने भारत का नाम विश्व पटल पर रोशन किया है। इन्हीं सभी खिलाड़ियों में एक नाम आता है हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का। साल 1931 में बॉलीवुड स्टार चार्ली चैंपियन ने लंदन में ईस्ट इंडिया डॉक रोड स्थित एक छोटे से घर में महात्मा गांधी से मुलाकात की थी। इसके ठीक एक साल बाद लॉस एंजलिस में चार्ली चैंपियन ने हॉकी के जादूगर और भारत के आइकन मेजर ध्यानचंद से भी मुलाकात की थी। हर साल 19 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर सरकार राष्ट्रपति भवन में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार देकर खिलाड़ियों को सम्मानित करती है।
मेजर ध्यानचंद के बेटे और हॉकी वर्ल्ड कप विनर टीम के सदस्य अशोक ध्यानचंद सहित कई ओलंपियंस ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग कर चुके हैं। अशोक ने खुलासा करते हुए बताया कि चार्ली चैपलिन ओलंपिक विलेज आए थे और उन्होंने दद्दा और उनके तीन साथियों के साथ मुलाकात की थी अमेरिकी मीडिया ने इसे काफी हाईलाइट किया था। अपने पिता की 115 वीं जयंती को याद करते हुए अशोक ने कहा, “हर साल 29 अगस्त को जन्मदिन पर राष्ट्रीय खेल दिवस मनाकर भारत अपने दिग्गज का सम्मान करता है। यह न सिर्फ हमारे लिए बल्कि हमारे देश के लिए भी एक सम्मान है। यह सच है कि न हमारी तरफ से बल्कि भारत के अन्य खिलाड़ियों और फैंस ने भी ध्यानचंद को भारत रत्न की मांग की है, अभी सरकार को तय करना है।”
जब ध्यानचंद ने मारी थी हिटलर के ऑफर पर ठोकर
15 अगस्त, 1936 को भारत ने तीसरी बार हॉकी में ओलंपिक जीता था और जिसका श्रेय जाता था मेजर ध्यानचंद को। पुरस्कार वितरण के समय हिटलर ने मेजर ध्यानचंद को जर्मन सेना ज्वाइन करने का न्योता दिया। पुरस्कार वितरण के मौके पर दादा कुछ नहीं बोले। पूरे स्टेडियम में सन्नाटा था। सब इस बात को लेकर डर रहे थे कि अगर ध्यान चंद ने ऑफर ठुकरा दिया तो तानाशाह उन्हें गोली मार सकता है। दादा ने बताया था कि उन्होंने हिटलर को भारतीय सैनिक की तरह एक बुलंद आवाज में जवाब दिया था, ”भारत बिकाऊ नहीं है।” तब हिटलर ने कहा था, ”जर्मन राष्ट्र आपको आपके देश भारत और राष्ट्रवाद के लिए सैल्यूट करता है।” हिटलर ने ही उन्हें हॉकी का जादूगर का टाइटल दिया था और कहा था कि ऐसे खिलाड़ी सदियों में एक बार पैदा होते हैं।