30 दिसंबर 2013, ये वो दिन था जब महेंद्र सिंह धोनी ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा था। 15 अगस्त 2020, ये वो दिन रहा जब माही ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से सन्यास की घोषणा कर दी। 2013 में जिस तरह से उन्होंने बिना किसी को बताए टेस्ट क्रिकेट से रिटायरमेंट की घोषणा की थी, ठीक उसी तरह उन्होंने 15 अगस्त की रात को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को पूरी तरह से अलविदा कह दिया था।
पूरा देश जहाँ 74वें स्वतंत्रता दिवस के जश्न में डूबा हुआ था तो वहीं आज़ादी की रात को ‘मैं पल दो पल का शायर हूँ, पल दो पल मेरी कहानी है’ के एक छोटे से वीडियो ने करोड़ो क्रिकेट फैंस को सकते में डाल दिया। किसी ने नहीं सोचा था कि माही क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं। माही की कहानी कुछ पलों की नहीं है बल्कि भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कामयाबी की वो गाथा है जिसे शायद ही कभी कोई भुला सके। धोनी को भारतीय क्रिकेट का वो सितारा कहा जाता है जिसकी कप्तानी के अंदर विश्व के कई बड़े खिलाड़ियों का खेलने का सपना रहा है। 28 सालों के करियर में धोनी ने फैंस और टीम इंडिया को वो पल दिए जो आज भी सभी के जहन में जिंदा हैं।
सचिन को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है लेकिन एक सच ये भी है कि उसी भगवान ने कई सालों तक धोनी की कप्तानी में अपना योगदान दिया। रेलवे में सरकारी नौकरी छोड़ रांची से बड़े सपने लेकर निकलने वाले धोनी ने 23 दिसंबर 2004 को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा। शुरुआती 4 मुकाबले भले ही धोनी के लिए कुछ खास नहीं रहे लेकिन पाकिस्तान दौरे पर खेली गयी 148 रनों की पारी ने धोनी की कामयाबी का रास्ता खोल दिया। अपने डेब्यू मैच में शून्य पर आउट होने वाले धोनी देखते ही देखते 50 दिनों के अंदर ही वनडे रैंकिंग में नंबर 1 पायदान तक पहुंच गए।
धोनी अपनी नई कहानी लिखने निकल पड़े थे। मजबूत इरादे और जीतने की चाह ने धोनी को पहली बार 2007 में कप्तानी करने का मौका दिया। धोनी ने अपनी पहली ही द्विपक्षीय सीरीज में श्रीलंका और न्यूज़ीलैंड को हराकर बता दिया कि उन्हें अब कप्तान बनने से कोई नहीं रोक सकता। 2007 टी-20 वर्ल्ड कप दक्षिण अफ्रीका में खेला गया। भारतीय टीम पूरी बदल चुकी थी। अनुभवी खिलाड़ियों के बीच धोनी के पास युवा ब्रिगेड थी। लेकिन इन्ही खिलाड़ियों के दम पर धोनी ने टी-20 वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया। धोनी ने कई युवा चेहरों को मौका दिया और उनकी काबिलियत को परखा।अब धोनी के पास एक ऐसी फौज थी जो किसी भी टीम से टक्कर लेने के लिए तैयार थी। टीम के पास एक ऐसा कप्तान था जो जीत का श्रेय टीम को और हार की जिम्मेदारी खुद पर लेने लगा।
भारतीय टीम धोनी की कप्तानी में विश्व के शिखर को छू चुकी थी। 2008 में ऑस्ट्रेलिया को उन्ही की धरती पर कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज में हराकर भारत ने इतिहास रच दिया। धोनी पहले ऐसे कप्तान बने जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया में कोई बाईलेट्रल सीरीज अपने नाम की। धोनी का नाम विश्व क्रिकेट में गूँज रहा था। वनडे में खुद को साबित करने के बाद धोनी ने टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया की कमान संभाली। धोनी ने 2008 से 2014 तक टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया की कमान संभाली। टेस्ट में धोनी की कप्तानी में एक साल के अंदर ही भारत नंबर 1 टीम बनी। ये पहला ऐसा मौका था जब भारत ने टेस्ट क्रिकेट में बादशाहत हासिल की।
40 साल बाद धोनी की कप्तानी में ही भारत ने टेस्ट सीरीज में ऑस्ट्रेलिया का वाइटवॉश किया। 30 दिसंबर 2014 को धोनी ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया। लेकिन तब तक धोनी वो सब कुछ हासिल कर चुके थे जिसका सपना कई बड़े खिलाड़ियों ने देखा होगा।
धोनी की उपलब्धियां
1. धोनी को उनके शानदार करियर के लिए हमेशा याद रखा जायेगा। माही ने भारत को कई ऐतिहासिक लम्हों का गवाह बनाया। 2011 विश्व कप उनमें से एक है। धोनी की कप्तानी में भारत 28 साल बाद विश्व विजेता बना था।
2. अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 17 हजार से ज्यादा रन जड़ने वाले धोनी के नाम कई बड़े रिकॉर्ड्स दर्ज हैं। धोनी पहले ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने ICC की तीनो ट्रॉफी (टी-20 वर्ल्ड कप, वर्ल्ड कप, चैंपियंस ट्रॉफी) अपने नाम की हो।
3. 2008 और 2009 में धोनी लगातार 2 बार ICC ODI player of the year का अवॉर्ड पाने वाले पहले कप्तान हैं।
4. वर्ल्ड टेस्ट इलेवन टीम में धोनी को 2009, 2010, 2013 में कप्तान बनाया गया। इसके अलावा धोनी के नाम ICC वर्ल्ड इलेवन की टीम में 8 बार शामिल होने का रिकॉर्ड भी दर्ज है।
5. धोनी 332 मैचों में कप्तानी कर चुके हैं जो पोंटिंग और फ्लेमिंग के बाद सबसे ज्यादा बतौर कप्तान खेले गए मुकाबले हैं।
6. धोनी के नाम अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 195 स्टंपिंग करने का रिकॉर्ड दर्ज है। ऐसा करने वाले वह पहले खिलाड़ी हैं। धोनी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 359 छक्के भी जड़ चुके हैं।
7. बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज़ वनडे की एक पारी में सबसे ज्यादा रन (183) का रिकॉर्ड भी धोनी के नाम दर्ज है।
8. धोनी ने 75 टी-20 मैचों में कप्तानी की है। आज तक ऐसा कोई नहीं कर पाया।
9. धोनी आईपीएल के सबसे सफल कप्तान भी माने जाते हैं। उनकी कप्तानी में चेन्नई सुपर किंग्स 3 बार खिताब अपने नाम कर चुका है।
अब कोई नहीं कहेगा ‘माही है संभाल लेगा’
धोनी को फैंस एक क्रिकेटर से कई ज्यादा सम्मान देते थे। धोनी ने ये छवि अपने दम पर बनाई है। धोनी ने भारत को कई बार मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकाल कर मैच जितवाये। यही वजह थी कि उनके मैदान पर आने से पहले ही फैंस कहने लगते थे कि ‘धोनी है संभाल लेगा’।
धोनी की कप्तानी में हर युवा खिलाड़ी खेलना चाहता था। धोनी एक खिलाड़ी को वो माहौल देना जानते थे जो उसे बड़ा खिलाड़ी बनने में मदद करे। धोनी युवाओं के लिए हमेशा रोल मॉडल रहेंगे। भारत कभी उनके योगदान को नहीं भूलेगा। हाँ, धोनी अभी आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स की तरफ से खेलते जरूर दिखाई देंगे लेकिन नीली जर्सी में उनके सफर का अंत अब हो चुका है।