एम्स में पहले चरण में वयस्कों के टीके के ट्रायल में शामिल होने से वंचित रहे कृष्ण कुमार ( बदला हुआ नाम) अब अपनी बेटी को बच्चों के टीके के ट्रायल में शामिल कराने पर काफी खुश नजर आ रहे है! वे कहते हैं कि जब एम्स में वयस्कों के टीके का पहले चरण का ट्रायल शुरू हुआ था तो वह खुद इसमें शामिल होने के लिए काफी उत्साहित थे। लेकिन, ड्यूटी पर होने के चलते वंचित रह गए। तभी उन्होंने तय कर लिया कि अपनी बेटी को बच्चों के टीके के ट्रायल में वालंटियर के तौर पर जरूर शामिल करेंगे।
उन्होंने बताया कि वह खुद ही एक लैब में कार्यरत हैं। इसलिए सैंपल जांच आदि करने और डाक्टरों के संपर्क में रहने के कारण वह ये जानते हैं कि टीके की डोज लेने से शरीर में एंटीबाडी बनती है। जो किसी भी तरह के वायरस से लड़कर शरीर की रक्षा करती हैं। साथ ही टीका बड़ों को लगाया जाय या बच्चों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
पिता ने बताया कि ट्रायल के लिए बच्चों को टीका लगवाने से डरने की जरूरत नहीं है। टीका पूरी तरह सुरक्षित है। इसके साथ ही गंभीर कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए भी कारगर है। उनका कहना है कि उनकी बहन भी वैज्ञानिक हैं। इसलिए बेटी भी ऐसे माहौल में पली है कि उसे खुद ही चिकित्सा के क्षेत्र में जाने का शौक है। इसलिए वह भी शौक से ट्रायल में शामिल होने के लिए उनके साथ एम्स गई। पहले दिन विभिन्न जांच के लिए सैंपल दिए। उस समय मन में यह था कि कहीं कोई जांच रिपोर्ट ऐसी न आ जाए कि बच्ची ट्रायल में शामिल होने से वंचित रह जाए। लेकिन, अगले दिन ही जब सारी रिपोर्ट सही पाई गई। उन्होंने बताया कि जब बेटी को ट्रायल करने के लिए एम्स से उनके पास फोन आया था तो उनके लिए खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था।