क्षेत्रीय भाषाओं और अंग्रेजी भाषा के बीच हमेशा ही एक लंबा विवाद चलता रहा है। भारत की विभिन्न सरकारों ने क्षेत्रीय भाषाओं को ज्यादा महत्व न देते हुए, हमेशा ही विदेशी भाषा के इस्तेमाल पर ज्यादा जोर दिया है। इसी कारण हिंदी तथा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थी मुख्यधारा से कहीं दूर रह जाते हैं। इस बीच अच्छी खबर आ रही है कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने नए शैक्षणिक सत्र से हिंदी समेत आठ भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने को अपनी ऐतिहासिक मंजूरी दी है। आने वाले समय में भाषाओं की संख्या 8 से 11 भी हो सकती है।
एआइसीटीई के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे ने माना है कि वर्तमान में लिया गया फैसला नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों को आगे बढ़ाने की एक पहल के तौर पर लिया गया है। हालांकि अभी ये फैसला आठ भाषाओं के लिए किया गया है लेकिन भविष्य में इंजीनियरिंग की पढ़ाई 11 भाषाओं में कराई जाएगी। उनके अनुसार अब तक 14 इंजीनियरिंग कालेजों ने हिंदी समेत पांच भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने की इजाजत मांगी है।
पाठ्य सामग्री तैयार करने का कार्य भी शुरू हो चुका है। ऐसे सॉफ्टवेयर की मदद ली जा रही है, जो सॉफ्टवेयर 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद कर सकता है। इसकी मदद से सबसे पहले प्रथम वर्ष का कोर्स तैयार किया जा रहा है। कुछ संस्थानों में हिंदी के लिए पहले से ही कोर्स है।
इन भाषाओं में होगी इंजिनियरिंग की पढ़ाई
हिंदी
मराठी
बंगाली
तेलुगु
तमिल
गुजराती
कन्नड़
मलयालम