भारत का पड़ोसी और मित्र देश नेपाल लगातार अपनी हरकतों के कारण सुर्खियों में रहा है। नेपाल के पिछले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बयानों ने बार-बार नेपाल के लोगों के लिए नई नई समस्या खड़ी की हैं। हालांकि इस समय नेपाल खुद सत्ता के संकट से जूझ रहा है। क्योंकि नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने नेपाल की संसद को भंग कर दिया है और मध्य अवधि में ही चुनाव कराने का फैसला ले लिया है।
इस चुनाव के लिए 12 और 19 नवंबर की तारीख को तय किया गया है। शुक्रवार को नई सरकार बनाने की समय सीमा समाप्त हो गई थी। नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर और कम्युनिस्ट पार्टी के नेता केपी शर्मा ओली ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था। बहादुर ने 149 और ओली ने 153 सदस्यों का समर्थन होने का दावा किया था।
नेपाल के संविधान अनुसार सरकार भंग होने के ठीक 6 महीने बाद मध्य अवधि में चुनाव कराए जाते हैं। नेपाल में पिछले 13 सालों में अब तक 11 प्रधानमंत्री बदल चुके हैं। 10 मई को संसद में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली विश्वास मत हार गए थे। उनके विरोध में 124 और पक्ष में 93 वोट ही पड़े थे। जबकि उन्हें सरकार बचाने के लिए 136 सांसदों के समर्थन की जरूरत थी। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।