पेट्रोल डीजल की बढ़ती हुई कीमतों ने देश की जनता की कमर तोड़ दी है। पेट्रोल डीजल के बढ़ते दाम लोगों के लिए मुसीबतों का कारण बन रहे हैं। विपक्ष की ओर से भी लगातार इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा जा रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा है कि सरकार अगले छह-आठ महीनों में सभी वाहन विनिर्माताओं से यूरो-छह उत्सर्जन मानदंडों के तहत फ्लेक्स-ईंधन इंजन बनाने के लिए कहेगी। फ्लेक्स-ईंधन या लचीला ईंधन, गैसोलीन और मेथनॉल या एथनॉल के संयोजन से बना एक वैकल्पिक ईंधन है। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा है कि अगले 15 वर्षों में भारतीय वाहन उद्योग 15 लाख करोड़ रुपये का होगा।
उन्होंने कहा, ”हम यूरो-छह उत्सर्जन मानदंडों के तहत फ्लेक्स-ईंधन इंजन के निर्माण की अनुमति देने के लिए उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा देने की योजना बना रहे थे, लेकिन अब मुझे लगता है कि हम सभी वाहन विनिर्माताओं से अगले 6-8 महीनों में यूरो-छह उत्सर्जन मानदंडों के तहत फ्लेक्स-ईंधन इंजन (जो एक से अधिक ईंधन पर चल सकता है) बनाने के लिए कहेंगे।” गडकरी ने दावा किया है कि सभी वाहन विनिर्माताओं के लिए फ्लेक्स-ईंधन इंजन बनाना अनिवार्य होने के बाद वाहनों की लागत नहीं बढ़ेगी। मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में भारत हरित हाइड्रोजन का निर्यात करने में सक्षम होगा।
जानिए कैसे काम करता है फ्लेक्स इंजन
आपको बता दें कि फ्लेक्स इंजन में एक तरह के फ्यूल मिक्स सेंसर यानी फ्यूल ब्लेंडर सेंसर का इस्तेमाल होता है। यह मिश्रण में ईंधन की मात्रा के अनुसार खुद को एड्जेस्ट कर लेता है। जब आप गाड़ी चलाना शुरू करते हैं, तो ये सेंसर एथेनॉल, मेथनॉल और गैसोलीन का अनुपात, या फ्यूल की अल्कोहल कंसंट्रेशन को रीड करता है। इसके बाद यह इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल मॉड्यूल को संकेत भेजता है और ये कंट्रोल मॉड्यूल तब अलग-अलग फ्यूल की डिलीवरी को कंट्रोल करता है।