बैंक डूबने पर 90 दिनों के भीतर मिलेंगे जमाकर्ताओं को 5,00,000 रूपये, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया बड़ा ऐलान

बैंक ग्राहकों के हित को ध्यान में रखते हुए डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट (DICGC) संशोधन बिल को मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बड़े ऐलान किए हैं।

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से आज अर्थव्यवस्था से जुड़े हुए कई बड़े ऐलान किए गए हैं। मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णयों पर आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस वार्ता की है। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर भी संवाददाता सम्मेलन में उनके साथ दिखाई दिए। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा वित्त वर्ष 2021 के लिए भारत के विकास अनुमान को तीन फीसदी कम कर 9.5 फीसदी पर करने के फैसले के अगले ही दिन सीतारमण ने प्रेस वार्ता की। इससे पहले आईएमएफ का अनुमान 12.5 फीसदी का था। आपको बता दें कि बैंक ग्राहकों के हित को ध्यान में रखते हुए डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट (DICGC) संशोधन बिल को मंजूरी दे दी गई है। इसके जरिए बंद हो चुके बैकों के ग्राहकों को बड़ी राहत मिल सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब बैंक के डूबने की स्थिति पर जमाकर्ताओं को 90 दिनों के भीतर ही पांच लाख रुपये मिल जाएंगे। वहीं ये भी बताया जा रहा है कि यदि बैंक का लाइसेंस रद्द होता है तो बैंक ग्राहकों को पांच लाख रुपये तक का डिपॉजिट इंश्योरेंस मिलता है। यह नियम चार फरवरी 2020 से लागू है। डिपॉजिट इंश्योरेंस में 27 साल बाद पहली बार बदलाव किया गया है।

कमजोर वित्तीय स्थिति से जूझ रहे बैंक

देश के कई सरकारी बैंक इस समय कमजोर वित्तीय स्थिति से जूझ रहे हैं। इसी स्थिति को देखते हुए सरकार कई बैंकों को मिलाकर एक बैंक बना रही है। साथ ही निजीकरण की भी तैयारी है जिससे आने वाले दिनों में किसी बैंक के डूबने की नौबत न आए। बैंक डूबने से लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। हम आपको बता दें कि मई 1993 से पहले तक डिपॉजिटर को बैंक डूबने की परिस्थिति में उनके खाते में जमा 30,000 रुपये तक की रकम पर ही वापसी की गारंटी हुआ करती थी। वर्ष 1992 में एक सिक्योरिटी स्कैम के कारण इसमें बदलाव किया गया है।

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