भारत के प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमणा ने बृहस्पतिवार को टीका निर्माता कंपनी भारत बायोटेक के प्रबंध निदेशक कृष्णा एला और कई अन्य लोगों को उनकी मेधावी सेवाओं के लिए एक पुरस्कार वितरण समारोह में शामिल हुए। प्रधान न्यायाधीश ने बृहस्पतिवार रात पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि तेलुगु भाषी लोगों में अपनी महान उपलब्धियों के बावजूद साथी तेलुगु लोगों को कम आंकने की प्रवृत्ति है। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रथा या ‘गुलामी की मानसिकता’ को त्याग दिया जाना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश ने भारत बायोटेक के कोविड-रोधी टीके ‘कोवैक्सीन’ और इसके निर्माण के लिये कंपनी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि एक ओर विभिन्न अध्ययनों में कहा गया है कि स्वदेशी रूप से निर्मित कोवैक्सीन प्रभावी है, तो कई लोगों ने इसकी इसलिये आलोचना की क्योंकि इसे देश में बनाया गया था। कुछ ने इसके खिलाफ डब्ल्यूएचओ से शिकायत की थी।
माँ, मातृभाषा और मातृभूमि पर करिए अभिमान
उन्होंने कहा कि इतने वेरिएंट आए पर भारतीय वैक्सीन उन सबसे निपटने में कारगर रही है। लेकिन कई लोगों और कंपनियों ने इसके खिलाफ काफी कुछ कहा बावजूद इसके कोवैक्सीन ने सफलता हासिल की। हमें अपनी माँ, मातृभूमि और मातृभाषा पर सदैव अभिमान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि साथी तेलुगु लोगों की महानता को उजागर करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने तेलुगु भाषा को बढ़ावा देने के प्रयासों का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक इनोवेशन के क्षेत्र में अच्छा काम कर रही है।हमें तकनीकी के क्षेत्र में विश्व के कई देशों के बीच काफी अच्छा काम कर रहे।