करीब चार साल पूर्व 9 नवंबर 2016 को भारत सरकार द्वारा नोट बन्दी का एलान किया गया था। जिसके पश्चात बैंकों के बाहर नोट जमा करने वालों की कई मीटर लंबी कतारें देखने को मिली थी। अब हाल ही में एक ऐसा वाकया सामने आया है जब एक नेत्रहीन दम्पति पुराने नोटों को बैंक में जमा करवाने गया। जिसे देखकर बैंक के कर्मचारी दंग रह गये। यह वाकया तमिलनाडु के इरोड जिले का है। जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी को पता लगा तो उसने सोमवार को उस नेत्रहीन दंपति की मदद करते हुए अपनी व्यक्तिगत बचत में से 25 हजार रुपये दे दिए। नेत्रहीन होने के कारण दंपति को यह पता ही नहीं चला कि उनके द्वारा की गई बचत में एक हजार और पांच सौ के नोट चार साल पहले ही सरकार ने बंद कर दिए थे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अगरबत्ती बेचकर आजीविका कमाने वाले सोमू (58) और उनकी पत्नी पलानीअम्मल ने दस साल से भी अधिक समय में जितनी बचत की थी, जिलाधिकारी सी कतिरावन ने उससे एक हजार रुपये अधिक देकर उनकी सहायता की।
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सूत्रों के हवाले से खबर मिली कि सोमू द्वारा सरकार से मदद की अपील किए जाने के दो दिन बाद जिलाधिकारी ने अच्छे नागरिक की भूमिका का निर्वाह करते हुए वाहन भेजकर दंपति को कार्यालय बुलाया और उन्हें चेक सौंपा। उन्होंने 24,000 रुपये मूल्य के पुराने नोटों को जिले के प्रमुख बैंक में जमा कराने का निर्देश दिया। सूत्रों ने कहा कि सोमू और उनकी पत्नी ने तात्कालिक सहायता के लिए अधिकारी को धन्यवाद दिया। सोमू ने कहा कि शुक्रवार को जब वह अपनी बचत राशि बैंक में जमा कराने गए तब उन्हें पता चला कि एक हजार और पांच सौ के नोट नवंबर 2016 में ही बंद कर दिए गए थे।