मुख्य कलाकार: विकी कौशल, भूमि पेडनेकर, आशुतोष राणा, आकाश धर
निर्देशक: भानू प्रताप सिंह
संगीतकार: अखिल सचदेवा, केतन सोढ़ा
इस हफ्ते रिलीज़ हुई ‘भूत पार्ट वन: द हॉन्टेड शिप’ के जरिए करण जौहर का धर्मा प्रॉडक्शन हाउस हॉरर फिल्मों की कैटेगरी में डेब्यू कर रहा है। भारत में हर साल कुछ हॉरर फिल्में जरूर रिलीज़ होती हैं, लेकिन इन फिल्मों में वह दम नज़र नहीं आता जो सिनेमाघरों में बैठकर दर्शकों का डराने में कामयाब हो सकें। हॉरर फिल्मों की तलाश में भारतीय दर्शक हॉलीवुड फिल्मों का रुख करना ही पसंद करते हैं। विकी कौशल स्टारर इस फिल्म में साउंड इफेक्ट और ग्राफिक्स के जरिए हॉलीवुड लुक देने की कोशिश की गई है, लेकिन अंत में वही मंत्र जाप आदि के द्वारा फिल्म का मजा किरकिरा हो जाता है। हॉरर फिल्म होने के कारण इसे सेंसर बोर्ड ने ‘ए’ सर्टिफिकेट से पास किया है। लेकिन क्या वाकई ये फिल्म दर्शकों को डराने में कामयाब हो पाती है, यह जानने के लिए अंत तक हमारा रिव्यू अवश्य पढ़े।
कहानी
इस फिल्म की कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है। साल 2011 में एक समुद्री जहाज अचानक मुंबई के तट पर आकर खड़ा हो जाता है। इसी तरह इस फिल्म में भी सी-बर्ड नाम का जहाज मुंबई के जुहू बीच पर आ जाता है। इस जहाज में कोई स्टाफ मौजूद नहीं होता और हर कोई इसे हॉन्टेड समझने लगता है। पृथ्वी (विकी कौशल) एक शिपयार्ड कंपनी में अधिकारी होता है और उसे इस जहाज की जाँच की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। पृथ्वी कुछ साल पहले एक हादसे में अपनी पत्नी और बेटी को खो चुका होता है और तभी से उसे हर जगह अपनी बेटी और पत्नी नज़र आते हैं।
वह डॉक्टर से अपनी इस समस्या को दूर करने के लिए दवाई तो लाता है, लेकिन उसे खाता नहीं क्योंकि वह बार-बार अपनी पत्नी और बेटी से मिलना चाहता है। पृथ्वी अपने एक दोस्त रियाज़ (आकाश धर) के साथ जहाज की जाँच-पड़ताल शुरू करता है। उसे जहाज पर कई अजीबो-गरीब चीजें दिखाई देती हैं और तरह-तरह की आवाज़े और चीखें भी उसके कानों में पड़ती हैं। पृथ्वी को लगता है कि इस जहाज में किसी भूत-प्रेत का साया है, जो उसे मदद के लिए पुकार रहा है। क्या पृथ्वी उस भूत को पकड़ पाता है या फिर भूत पृथ्वी को ही अपना शिकार बना लेता है? इसके आगे की कहानी तो आपको सिनेमाघर जाकर ही पता चलेगी।
एक्टिंग
फिल्म ‘उड़ी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ के बाद विकी कौशल की फैन फोलोइंग में बेहद तेजी से इजाफा देखने को मिला था और इस लिस्ट में लड़कियों के नाम खासतौर पर शामिल हैं। इसमें कोई दोराह नहीं कि पुरूषों के मुकाबले महिलाएं हॉरर फिल्मों की ज्यादा शौकीन होती हैं। इस फिल्म में विकी कौशल की एक्टिंग सराहनीय रही है और कुछ हद तक वे ऑडियंस को डराने में कामयाब भी हो पाते हैं। लेकिन दर्शकों को शायद विकी कौशल से इससे ज्यादा उम्मीदे थीं, जिनपर वे खरा उतरने में थोड़ा विफल होते नज़र आ रहे हैं। भूमि पेडनेकर का फिल्म में ज्यादा रोल नहीं है, लेकिन स्क्रीन पर आने के बाद दर्शक उन्हें पसंद करते हैं।
निर्देशन
इस फिल्म से भानू प्रताप सिंह निर्देशन के क्षेत्र में डेब्यू कर रहे हैं। सीधे हॉरर फिल्म के जरिए डायरेक्शन में डेब्यू करना एक मुश्किल काम है। भानू प्रताप ने फिल्म में दर्शकों को अपने साथ जोड़ने और उन्हें डराने की भरपूर कोशिश की, लेकिन ये कोशिश केवल फर्स्ट हाफ तक ही नज़र आती है। सेकेण्ड हाफ में दर्शकों को कुछ नया देखने को नहीं मिलता। दीवार पर चलती चुड़ैल और भूतों से डरकर तंत्र-मंत्र का प्रयोग करना सदियों से बॉलीवुड फिल्मों में दिखाया जा रहा है। फिल्म में केवल एक गाना डाला गया, जो ऑडियंस को रिलैक्स करने का मौका देता है।
क्या है फिल्म की खासियत
एक हॉरर फिल्म में सबसे अहम भूमिका किसी किरदार या डायरेक्टर की नहीं बल्कि म्यूज़िक और ग्राफिक्स की होती है। फिल्म के कुछ दृश्यों में दर्शक वाकई काफी ज्यादा डर जाते हैं, जिसका पूरा श्रेय इसके बैकग्राउंड म्यूज़िक को दिया जा सकता है। बैकग्राउंड म्यूज़िक और ग्राफिक्स के अलावा फिल्म की स्टोरी में ऐसा कोई भी सीन नहीं है, जो दर्शकों को थर-थर कांपने पर मजबूर कर दे। हॉरर फिल्मों को एक अच्छे लेवल पर पहुंचाने के लिए बॉलीवुड को अभी एक लंबा सफर तय करना होगा। अगर आप हॉरर फिल्मों के शौकीन हैं तो एक बार ये फिल्म देखी जा सकती है।
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