उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी लगातार ऐसे चेहरों को तलाश रही है जिससे उनका संगठन मजबूत हो और प्रदेश में उनका संख्या बल भी सरकार बनाने से ज्यादा रहे। इसी कड़ी में बीजेपी ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस पार्टी की विधायक अदिति सिंह, विधायक वंदना सिंह और विधायक राकेश प्रताप सिंह ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है।
आपको बता दें कि पिछले कई चुनावों में आजमगढ़ और रायबरेली में भारतीय जनता पार्टी लगातार हारती रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी आजमगढ़ तथा रायबरेली से बीजेपी अपनी सीट नहीं निकल पाई थी। आजमगढ़ में 2014 में मुलायम सिंह यादव और 2019 में अखिलेश यादव ने जीत हासिल की थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की लहर के बाद भी आजमगढ़ की दस में से नौ सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। यहां पांच सीटे सपा और चार बसपा ने जीती थी। इन्हीं में से एक सीट सगड़ी पर बसपा के टिकट पर वंदना सिंह निर्वाचित हुई थीं। बाद में वंदना सिंह को मायावती ने निलंबित कर दिया था। वहीं दूसरी तरफ से रायबरेली की सदर सीट से विधायक अदिति सिंह लगातार कांग्रेस के खिलाफ बयान बाजी कर रही थीं, और उनके बयानों से यह भी साफ हो रहा था कि जल्द ही वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकती हैं। लखीमपुर खीरी मामले पर पार्टी लाइन से अलग हटकर बयान देने के कारण कांग्रेस ने उनके खिलाफ विधानसभा में सदस्यता रद्द करने का प्रस्ताव दिया था।
पिता के बाद बेटी ने अपनाये बगावती स्वर
रायबरेली की सदर सीट पर ज्यादातर कांग्रेस का ही विधायक रहा लेकिन कभी कभी भी इसे कांग्रेस की सीट नहीं माना गया। अदिति सिंह से पहले उनके पिता अखिलेश सिंह कांग्रेस के लिए चुनौती बने रहे। और अब उनकी बेटी भी पिता की विरासत संभाल रहीं हैं। लखीमपुर खीरी मामले में उन्होंने कहा था कि लखमीपुर खीरी मामले की सीबीआई जांच कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लिया है। अगर उनके इन संस्थाओं में ही विश्वास नहीं है तो मुझे समझ में नहीं आता कि उनका किस पर विश्वास है।