असम: सरकारी नौकरी पाने के लिए एससी-एसटी, आदिवासियों और वनवासियों को दो बच्चों के नियम से छूट दी गई

सीएमओ की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, आदिवासी और अन्य पारंपरिक वनवासी समुदायों को दो बच्चों के मानदंड से छूट देने का फैसला किया है ताकि सरकारी सेवाओं में आने के लिए उनकी बाधा को दूर किया जा सके।

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चित्र साभार: ट्विटर @himantabiswa

असम मंत्रिमंडल के द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, आदिवासी और अन्य पारंपरिक वनवासी समुदाय को सरकारी नौकरी पाने के लिए दो बच्चों वाले नियम से छूट प्रदान की। एक सरकारी बयान के मुताबिक, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल ने इन समुदायों को असम लोक सेवा (सीधी भर्ती में छोटे परिवार के मानदंड का अनुपालन) नियम, 2019 के दायरे से छूट प्रदान की गयी है। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, आदिवासी और अन्य पारंपरिक वनवासी समुदायों को दो बच्चों के मानदंड से छूट देने का फैसला किया है ताकि सरकारी सेवाओं में आने के लिए उनके लिए बाधा को दूर किया जा सके।

हालांकि, इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि असम सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण नीति को बदलने के लिए क्या कदम उठाए हैं, जिसकी सरमा और उनके सहयोगियों द्वारा नियमित रूप से वकालत की जा रही थी। 19 जून को, सरमा ने कहा था कि असम सरकार विशिष्ट राज्य योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए दो बच्चों की नीति लागू करेगी। असम पंचायत अधिनियम, 1994 में 2018 में हुए एक संशोधन के अनुसार, ग्राम पंचायत (ग्राम परिषद) में चुनाव लड़ने के लिए वर्तमान में असम में दो बच्चों का मानदंड है, साथ ही न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता और स्वच्छता के लिए शौचालय का इस्तेमाल जरूरी है।

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