दिसंबर 2019 में चीन के हूबे प्रांत के वुहान शहर से कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलने की शुरुआत हुई थी। चीन के वुहान शहर से ही खतरनाक कोरोना वायरस दुनिया भर में फ़ैल गया। तथा 31 दिसंबर को चीन ने इसकी जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को दी। तब से ही चीन पर आरोप लगते रहे है कि चीन ने कोरोना संक्रमण पर कार्रवाई करने तथा दुनिया को इससे आगाह करने में देरी की। हालंकि चीन शुरू से ही अमेरिका द्वारा लगे हुए इन आरोपों को नकारता रहा है। सूत्रों के अनुसार चीन ने ये मान लिया है कि उसने कोरोना वायरस के शुरुआती सैंपल नष्ट करवा दिए थे। अमेरिका पहले से चीन पर ये आरोप लगाता रहा है। पिछले महीने अमेरिका के विदेश मंत्री ने दावा किया था कि चीन ने वायरस के सैंपल नष्ट किए। न्यूजवीक की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन के सुपरवाइजर लीऊ डेंगफेंग ने माना कि 3 जनवरी को चीन की सरकार ने आदेश जारी किया था कि अनाधिकृत लैब से कोरोना वायरस के सैंपलों को नष्ट किया जाए। चीनी अधिकारी ने उनके उपर लगे उन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि चीन ने कुछ छिपाने के मकसद से वायरस के सैंपल नष्ट किए थे।
लीऊ डेंगफेंग ने दावा किया- ‘लैब में बायोलॉजिकल सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आगे कोई दूसरा हादसा न हो जाए, इसलिए वायरस को खत्म करने को कहा गया। चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन के एक अधिकारी ने बीजिंग में शुक्रवार को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान वायरस के सैंपल खत्म करने की जानकारी दी। लीऊ डेंगफेंग ने कहा कि ऐसे सैंपल के लिए वे लैब अनाधिकृत थे और चीन के स्वास्थ्य कानूनों के तहत उन्हें वायरस को खत्म करना जरूरी था। लीऊ डेंगफेंग ने कहा कि जब यह वायरस SARS-CoV-2 को क्लास-2 या अत्यधिक रोगजनक वायरस के रूप में क्लासिफाइड कर दिया गया, तब वायरस के सैंपल खत्म करने के आदेश जारी किए गए थे। बीते महीने अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने चीन पर कोरोना वायरस पर हो रहे रिसर्च को भी सेंसर करने का आरोप लगाया था। माइक पोम्पियो ने कहा था कि चीन ने वायरस पर हो रहे रिसर्च को सेंसर करके बीमारी के खिलाफ दुनिया की लड़ाई को प्रभावित करने की कोशिश की। इसके साथ उन्होंने भी कहा कि ‘चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने वायरस से जुड़ी सूचनाएं दबाने की कोशिश की। ये वायरस कहां से फैला, कैसे फैला और इंसान से इंसान कैसे संक्रमित हो रहे थे, इसको लेकर जानकारी छिपाई।