हाल ही में भारत और जापान के सरकारों के बीच हुए सहभागिता समझौते के बाद जापानी भाषा के जानकारों के लिए यह सुनहरा मौका साबित हो सकता है जिसमें कई युवाओं की नौकरी की उम्मीद की जा रही है। जिसमें भारत के कुशल कामगारों को र्नंर्सिग देखभाल, इमारतों की सफाई, प्रसंस्करण उद्योग, मशीनरी निर्माण, इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक सूचना संबंधी उद्योग, निर्माण, पोत निर्माण, वाहन रखरखाव, विमानन, आवास, कृषि और मछली पालन समेत कुल 14 क्षेत्रों में काम के अवसर देने के लिए सहमती हो गयी है। इन क्षेत्रों में इच्छुक युवाओं को इस फील्ड में कौशल हासिल रखने के साथ ही जापानी भाषा का भी ज्ञान होना ज़रूरी होगा।
बीते एक वर्ष में इंटरनेट के प्रसार और कंपनियों के वैश्विक विस्तार के बीच तमाम स्टूडेंट्स जैपनीज, फ्रेंच, जर्मन, मैंडरिन जैसी फॉरेन लैंग्वेज सीखने में दिलचस्पी दिखा रहे है। आंकड़ों की मानें, तो लॉकडाउन के बाद पूरी दुनिया में विदेशी भाषाओं को सीखने का क्रेज तेज़ी से बढ़ा है। वही कॉरपोरेट्स और इंटरनेट मीडिया के आने से आज फ्रेंच हो या जर्मन, स्पैनिश, जैपनीज, इन सभी विदेशी लैंग्वेजेज के जानकारों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। लाकडाउन के दौरान दुनियाभर में जूम, गूगल मीट जैसे वीडियो कॉलिंग एप्स का यूजर्स के बीच काफी क्रेज देखा गया है। लोग ऑफिस या दूसरे कामों के लिए इन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एप का इस्तेमाल करते देखे गए है। ऐसा भी माना जा रहा है कि आगे भी कंपनियों का कहीं भी बैठकर मीटिंग करने के इस ट्रेंड को फॉलो करने पर ज़ोर रहेगा। इससे हिंदी और अंग्रेजी समेत दूसरी भाषाओं के जानकारों के लिए जॉब की संभावनाएं और तेज़ी से बढ़ेंगी।