दिल्ली | कोरोना वायरस वायरस के सोर्स के बारे में पता लगाने के लिए दिन रात काम कर रहा है। क्या वास्तव में यह चीन के वुहान में स्थित लैब से बाहर आया है या फिर कोई और वजह है। इसके लिए अमेरिकी ने अपनी जांच एजेंसियों को एक्टिव कर दिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो साफ तौर पर कह दिया है कि, “अमेरिका कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के संबंध में चीन के खिलाफ बेहद गंभीरता से जांच कर रहा है।” इससे पहले जर्मनी ने कोरोना के चलते होने वाले नुक़सान की भरपाई के लिए 140 अरब डॉलर के मुआवजे की माँग कर चुका है। लेकिन अमेरिका के तेवर देख कर साफ लग रहा है कि वो चीन से और भी ज्यादा मुआवज़े की माँग करने की तैयारी कर रहा है।
चीन में पिछले साल मध्य नवंबर में उभरे इस घातक वायरस से पूरी दुनिया में तकरीबन दो लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अकेले अमेरिका में अभी तक इस वायरस की वजह से लगभग 56,000 लोगों की मौत हो चुकी है और दस लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी के नेता लगातार कहते आ रहे हैं कि अगर चीन शुरुआती चरण में इस वायरस के संबंध में जानकारी देने में पारदर्शिता रखता तो इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत नहीं होती और वैश्विक अर्थव्यवस्था को इतना बड़ा नुकसान नहीं पहुंचता। इसी बात को आधार मानकर कई देश चीन से मुआवजा वसूलने की बात कह रहे हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि, “इस वायरस की वजह से अमेरिका में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में व्यापक स्तर पर क्षति पहुंची है। चीन को इस वायरस के प्रसार के लिए जिम्मेदार ठहारने के कई रास्ते हैं। अमेरिका इस संबंध में गंभीरता से जांच कर रहा है और वह चीन से खुश नहीं है। हाल के सप्ताह में चीन को इस वायरस के प्रसार के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने के विचार को काफी समर्थन मिला है।”