अभिनेता जितेंद्र को इस फिल्म के लिए मिले थे सिर्फ 100 रुपये, 6 महीने नहीं मिली थी सैलेरी

बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता जितेंद्र शुरुआती दिनों में मुंबई में ही चॉल में रहा करते थे। जितेंद्र कॉलेज में पढ़ते थे, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। उनके निधन के बाद घर चलाना मुश्किल हो गया था, इसलिए जितेंद्र नखुद ही काम करना शुरू करना चाहते थे।

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बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता जितेंद्र के बारे में आज कौन नहीं जानता है? अपनी बेहतरीन कलाकारी से मशहूर अभिनेता जितेंद्र ने दुनिया में अपना एक अलग ही नाम कमाया है। बचपन में ही जितेंद्र के सर से पिता का साया उठ गया था। इसके बाद उन्होंने खुद कमाई करने के बारे में सोचा। पिता के निधन के बाद जितेंद्र के परिवार में बहुत सारी समस्याएं आने लगी थी। इसलिए जितेंद्र का मन था कि वे जल्द से जल्द कोई रोजगार ढूंढ लें। जितेंद्र को सबसे पहले काम बतौर जूनियर आर्टिस्ट का मिला था। उन्हें यह काम फिल्ममेकर शांताराम ने दिया था। उनसे कहा गया था कि जिस दिन कोई जूनियर आर्टिस्ट नहीं आएगा, उनसे काम लिया जाएगा और इसके बदले हर महीने 105 रुपए दिए जाएंगे। कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई है कि धीरे-धीरे जितेंद्र शांताराम को पसंद आ गए थे। शांताराम ने जितेंद्र को गीत गाया पत्थरों ने में साइन किया। इस फिल्म में शांताराम ने उन्हें रवि कपूर से जितेंद्र नाम दिया। जितेंद्र को फिल्म तो मिली, लेकिन ब्रेक दिया गया इसलिए पैसे कम हो गए। उन्हें हर महीने 100 पर साइन किया गया था, लेकिन शुरुआती 6 महीनों तक उन्हें पैसे ही नहीं दिए गए।

जितेंद्र ने अपने करियर की शुरुआत में बहुत मेहनत की थी तब जाकर 1967 में फर्ज फिल्म से जितेंद्र को नई पहचान मिल पायी थी। इस फिल्म का गाना ‘मस्त बहारों का मैं आशिक’ काफी पसंद किया गया था। और जितेंद्र के जीवन में भी परिवर्तन होने लगा था। इस तरह जितेंद्र ‘जंपिंग जैक’ बन गए थे। इसके बाद हमजोली और कारवां जैसी फिल्में उन्होंने की और वो सुपरस्टार बन गए। आपको बता दें कि जितेंद्र अब फिल्में की लेकिन बालाजी टेलीफिल्मस और बालाजी मोशन पिक्चर के चेयरमैन हैं। उनकी बेटी एकता कपूर ने फिल्म और टेलीविजन इंडस्ट्री में अच्छा मुकाम हासिल कर लिया है।

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