लाल किले पर जिस तरह से उपद्रवियों ने चढ़कर राष्ट्र का अपमान किया। राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया। सवा सौ करोड़ देशवासियों की भावनाओं पर धर्म विशेष का झंडा लगाकर भारत के गणतंत्र दिवस को अपमानित किया। उसे तो कभी भुलाया ही नहीं जा सकता। लाल किले पर धर्म विशेष का झंडा फहराने का आरोप दीप सिद्धू पर लगा है। दीप ने सोशल मीडिया के द्वारा एक वीडियो जारी करके कहा है कि मैं बेगुनाह हूं…. उसने यह भी कहा कि जो किसान नेता मुझे गद्दार कह रहे हैं अगर मैंने उन की परतें खोलने शुरू कर दी तो उन्हें दिल्ली से भागने का रास्ता भी नहीं मिलेगा।
दीप अपने वीडियो में कहा कि मुझे लाइफ आना पड़ा है क्योंकि मेरे खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है झूठ फैलाया जा रहा है। मैं इतने दिनों से यह सब पी रहा हूं क्योंकि मैं नहीं चाहता कि हमारी सजा मेहनत के द्वारा खड़े हुए संघर्ष पर कोई दाग लगे। लेकिन आप जिस पड़ाव पर आ गए हैं वहां बातें करना आवश्यक है। 25 तारीख की रात को युवाओं ने रोष जताया क्योंकि उन्हें दिल्ली में परेड करने के लिए बुलाया गया था। युवाओं का कहना था कि हम दिल्ली जाने के लिए यहां आए हैं लेकिन सरकार हमें दिल्ली जाने नहीं दे रही।
इस वीडियो के माध्यम से दीप अपने अपने कृत्य पर सफाई तो दी है लेकिन इस सफाई को सही नहीं माना जा सकता। किसी भी रूप में जो हिंसा गणतंत्र दिवस के दिन हुई वह अपमानजनक थी। आरोपी के द्वारा किसान नेताओं पर कई गंभीर आरोप लगाए हुए हैं आरोपी का कहना है कि जब मैं लाल किले पर पहुंचा तो कोई भी किसान नेता वहां उपस्थित नहीं था। बड़ी-बड़ी बातें करने वाले किसान नेता भी वहाँ नहीं दिखाई दे रहे थे। इसी बीच यह भी खबर आई कि 2 किसान संगठनों ने इस आंदोलन से अपना समर्थन वापस ले लिया है क्योंकि गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा ने उनके हृदय को चोट पहुंचाई है। पहला संगठन है भानु प्रताप सिंह का जिस संगठन का नाम है भारतीय किसान यूनियन उर्फ भानु। और दूसरा किसान संगठन है बीएन सिंह का जिसका नाम है राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन।