प्राकृतिक आपदाओं के बाद हमारे सामने जल्द से संबंधित बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। अधिक बाढ़ आने के कारण कहीं-कहीं जल दूषित हो जाता है तो कहीं पर जल में बहुत सारे व्यक्ति उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसे में उस जल को पीना शरीर के लिए हानिकारक हो जाता है। क्योंकि भारत के प्रत्येक हिस्से में वाटर फिल्टर का उस तरह से यूज़ नहीं होता जिस तरह का प्रयोग मेट्रो सिटीज में होता है। पुणे स्थित कंपनी एक्वाप्लस वॉटर प्यूरिफायर (प्राइवेट) लिमिटेड ने इस समस्या के बारे में सोचा और इसका समाधान निकालने की कोशिश की। आपको बता दें कि ये कंपनी, पिछले 17 सालों से ऐसे वॉटर फिल्टर्स का निर्माण किया है जो न केवल सस्ते होते हैं बल्कि कुछ ही घंटों में वाटर को प्योर कर देते हैं। इन फिल्टर्स को देश के किसी भी हिस्से में बड़ी आसानी के साथ ले जाए जा सकता है और वहां उसी आसानी के साथ इंस्टॉल भी किया जा सकता है।यह कंपनी लगभग 50 से ज्यादा प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अपनी सेवाएं दे चुकी है।
अकस्मात हुआ कंपनी का गठन
इस कंपनी के संस्थापक राहुल पाठक बताते हैं कि मैं पुणे में इंजीनियरिंग कर रहा था। तब मुझे लगा कि तर्क के लिए तो यहां कोई जगह ही नहीं है। कैल्कुलेशन और थ्योरी, दोनों मिलकर समस्या के समाधान को और जटिल बना रहे थे। मेरी नजर में प्रयोगों से समाज का कुछ ज्यादा फायदा होने वाला नहीं है। बल्कि इसकी बजाय अगर तार्किक ढंग से समस्या का सरल समाधान ढूंढा जाए, तो बेहतर रहेगा। कंपनी छोड़ने के पश्चात उन्होंने मार्केटिंग करने का फैसला ले लिया। उन्होंने बताया, “मुझे ऐसा करने की प्रेरणा अपने पिता के बिज़नेस से मिली। वह सिरेमिक तकनीक से फिल्टर बनाकर बेचते थे। हालांकि 90 के दशक में आई मंदी ने उनके इस बिज़नेस पर भी प्रभाव डाला और उनकी मार्केटिंग रणनीति सफल नहीं हो पाई।”
जानिए कैसे होता है वाटर फिल्टर का निर्माण?
राहुल बताते हैं कि वाटर फिल्टर के निर्माण में काम आने वाली मेंब्रेन पतले कागज की एक सीट होती है जो चार चरणों माइक्रोफाइल्ट्रेशन अल्ट्राफिल्ट्रेशन नैनोफिल्ट्रेशन और रिजर्व ऑस्मोसिस में पानी को साफ करती है। इस प्रक्रिया के माध्यम से सभी तरह के बैक्टीरिया, वायरस,कीटाणु,लवणता खाने का और पानी में जितनी भी अशुद्धियां होती है वह 99% तक समाप्त हो जाती हैं।
बिना बिजली के चलेगा वाटर फिल्टर
लंबे समय के संघर्ष और अपने एक्सपीरियंस के बल पर राहुल पाठक ने एक नई खोज की है। इस खोज के माध्यम से उन्होंने कम रखरखाव वाला एक बेहतरीन वाटर फिल्टर बना दिया है। इस फिल्टर की खासियत यह है कि इसे बहुत आसानी से देश के किसी भी हिस्से में ले जाया जा सकता है। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि इस सेंटर को चलाने के लिए बिजली की आवश्यकता नहीं होती है। बताया जा रहा है कि इस फिल्टर का उपयोग संसाधन की उपलब्धता के आधार पर, हैंड पंप इंजन से चलने वाली मोटर के माध्यम से होगा।