कोरोना संक्रमण की वजह से दुनिया के सैकड़ों देशों में तबाही मची हुई है। चीन की करतूतों का भुगतान पूरी दुनिया को करना पड़ रहा है। चीन के बाद कोरोना वायरस ने इटली में लोगों की जिंदगी छीनना शुरू किया था। हालांकि अब इटली में कोरोना का कहर पहले की अपेक्षा थम गया है। लेकिन जिस तरह इटली ने कोरोना से बिगड़ते हुए हालातों पर काबू पाया है वो वाकई में काबिले तारीफ है। इंटरनेशनल मीडिया में भी इटली की तारीफ हो रही है।
मार्च और अप्रैल के महीने में कोरोना के बढ़ते हुए संक्रमण को देखते हुए इटली को यूरोप में कोरोना का केंद्र कहा जाने लगा था लेकिन अब इटली के कोरोना अस्पताल खाली हो चुके हैं। बीते कई हफ्तों से रोज आने वाले नए केसों की संख्या 150 से 400 के बीच ही गई है। वहीं, रोज होने वाली मौतों का आंकड़ा 20 से भी कम हो गया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इटली के अस्पताल कोरोना मरीजों से खाली हो चुके हैं। रोज आने वाले नए मामलों की संख्या यूरोप के किसी भी अन्य देश से कम है। हालांकि, इटली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के संक्रामक रोग विशेषज्ञ गिओवान्नी रेज्जा कहते हैं कि हम काफी सावधान हैं।
इटली के प्रमुख स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना हैं कि अब भी खतरा मंडरा रहा है और हालात से संतुष्ट होकर बैठना महामारी को बढ़ावा देने जैसा है। वे इस बात को पूरी तरह समझ रहे हैं कि तस्वीर किसी भी वक्त बदल सकती है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि इटली कोरोना के गढ़ से बदलकर अब एक मॉडल बन गया है इसलिए इटली के मानक अन्य देशों के लिए उपयोगी हो सकते हैं। इटली के बेहतर होने के पीछे कड़े लॉकडाउन को भी काफी अहम समझा जा रहा है। जहां लोगों के एक जगह से दूसरी जगह जाने पर सख्त पाबंदी लगाई गई थी। लॉकडाउन सख्ती से पालन करवाने के साथ ही मेडिकल इंडस्ट्री ने इन हालात से सबक भी सीखा।
वहीं, इटली की सरकार ने वैज्ञानिक और तकनीकी कमेटी की सिफारिशों के आधार पर फैसले लिए। स्थानीय डॉक्टर, अस्पताल, स्वास्थ्य अधिकारी रोज 20 इंडिकेटर पर इलाके के हालात की जानकारी जुटाते हैं और उसे क्षेत्रीय केंद्रों पर भेजते हैं फिर आंकड़े नेशनल इस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के पास आता है। इन आंकड़ों के आधार पर तैयार किए गए आंकड़ों को देश के स्वास्थ्य का साप्ताहिक एक्स-रे कहा जाता है।
इटली की संसद ने भी प्रधानमंत्री गिउसेप्पे कोन्टे को 15 अक्टूबर तक के लिए आपातकालीन शक्ति दे दी है ताकि कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में देश कमजोर न पड़े क्योंकि वायरस अब भी मौजूद है। इस शक्ति की वजह से सरकार कम समय में फैसले ले सकती है और जरूरत पड़ने पर पाबंदियां लगा सकती है। कोरोना महामारी के चलते इटली ने पहले ही एक दर्जन से अधिक देशों पर ट्रैवल बैन लगाया है। वहीं, WHO के अधिकारी एक्सपर्ट रनीरी गुएरा ने कहा कि शुरुआती दौर में कॉम्पीटिशन था। पड़ोसी देशों से सहयोग नहीं मिल रहा था और इटली को अकेला छोड़ दिया गया था तब मास्क और वेंटिलेटर की सप्लाई भी नहीं हो रही थी। इसका असर ये हुआ कि इटली ने अकेले दम पर वह सबकुछ किया जो अन्य देशों से अधिक प्रभावी साबित हुआ।