खेलों की दुनिया में नजर आने वाले खिलाड़ियों को आप लोगों ने शोहरत और आलीशान जिंदगी जीते देखा होगा लेकिन इस दुनिया के कुछ खिलाड़ी ऐसे भी होते हैं जो विरोधियों को रिंग या फील्ड में मात तो दे देते हैं लेकिन असल जीवन में गरीबी को हरा नहीं पाते। ऐसी ही एक कहानी है पंजाब के संगरूर के रहने वाले युवा बॉक्सर मनोज कुमार की।
नेशनल स्तर पर 7 और स्टेट स्तर पर 23 मेडल हासिल करने वाले बॉक्सर मनोज कुमार और उनका परिवार बेरोजगारी की मार झेल रहा है। घर की आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं होने के कारण मनोज का टीम इंडिया की ओर से खेलने का सपना भी अधूरा रह गया। अब हालात ऐसे हैं कि मनोज को 450 रुपये में पल्लेदारी पर काम करना पड़ रहा है।
मनोज के परिवार में माता-पिता के अलावा 2 बहने हैं। राष्ट्रीय स्तर पर लगातार 15 गोल्ड मेडल जीतने का रिकॉर्ड भी मजोज कुमार के नाम दर्ज है। हालांकि इसके बाद भी किसी भी प्रशासन का उन पर ध्यान नहीं गया। दैनिक जागरण से बात करते हुए मनोज ने खुद बताया कि 2009 में क्यूबा में होने वाले अंतरराष्ट्रीय जूनियर मुक्केबाजी कॉम्पिटिशन में जाने का मौका मिला था लेकिन मेरे पास पासपोर्ट नहीं था।
पंजाब सरकार की तरफ से भी मनोज को कोई रोजगार मुहैया नहीं कराया गया है। आमतौर पर किसी भी सरकारी नौकरी के लिए नेशनल लेवल का एक ही मेडल काफी होता है जबकि मनोज के पास 2 गोल्ड समेत नेशनल में 7 मेडल हैं।
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