मुख्य कलाकार: सुशांत सिंह राजपूत, संजना सांघी
निर्देशक: मुकेश छाबड़ा
संगीत: ए आर रहमान
सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत के लगभग डेढ़ महीने बाद उनकी आखिरी फिल्म दिल बेचारा (Dil Bechara) रिलीज़ हो गई है। लॉकडाउन के कारण यह फिल्म बड़े पर्दे की बजाय ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज़नी प्लस हॉटस्टार (Disney + Hotstar) पर रिलीज़ की गई है। यह फिल्म सुशांत के फैंस मुफ्त में देख सकते हैं। इसके लिए आपको डिज़नी प्लस हॉटस्टार की मेंबरशिप लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत अपनी पिछली फिल्मों की तरह ही हंसते-मुस्कुराते नज़र आएंगे, लेकिन इस बार उन्हें देखते हुए आपके चेहर पर खुशी के साथ-साथ थोड़ा गम भी होगा। फिल्म की कहानी शुरूआत से ही प्रीडिक्टेबल लगती है इसके बावजूद आपका मन पूरी फिल्म देखने का जरूर करेगा। हम जानते हैं सुशांत के सच्चे फैन यह फिल्म जरूर देखेंगे। लेकिन फिर भी फिल्म देखने से पहले ये रिव्यू (Dil Bechara Review in Hindi) आप अवश्य पढ़ें।
कहानी
आपने भी अपनी दादी-नानी से बचपन में बहुत सी कहानियां सुनी होंगी, और उन कहानियों में अक्सर ऐसा होता था- एक था राजा, एक थी रानी, दोनों मर गए खत्म कहानी। लेकिन असल ज़िन्दगी में कोई भी व्यक्ति ऐसी सादगी भरी कहानी वाला जीवन नहीं जीना चाहता। हर व्यक्ति चाहता है कि उसकी ज़िन्दगी में एडवेंचर और रोमांस हो। कुछ ऐसा ही सपना था थायरॉइड कैंसर से जूझ रही किज़ी बासू (संजना सांघी) का। किज़ी का यह सपना पूरा करने के लिए उनकी ज़िन्दगी में इम्मैन्युअल राजकुमार जुनियर उर्फ मैनी (सुशांत सिंह राजपूत) की एंट्री होती है। मैनी भी ऑस्ट्रियोसकोर्मा नामक एक कैंसर की बीमारी से पीड़ित होता है और उसकी एक टांग नकली होती है।
मैनी और किज़ी की मुलाकात एक कॉलेज में होती है और एक मुलाकात के बाद ही दोनों एक-दूसरे को पसंद भी करने लगते हैं। किज़ी का एक पसंदीदा सिंगर होता है अभिमन्यू वीर और उससे मिलना किज़ी की ज़िन्दगी का सपना होता है। किज़ी का यह सपना पूरा करने में मैनी उसकी मदद करता है। वहीं मैनी अपने दोस्त जेपी के साथ मिलकर एक फिल्म बनाना चाहता है और उसमें वह किज़ी को एक लीड एक्ट्रेस के तौर पर कास्ट करना चाहता है। लेकिन कैंसर को शायद हँसी और खुशी ज्यादा बर्दाश्त नहीं होती। क्या किज़ी और मैनी के ये सपने पूरे हो पाएंगे? क्या किज़ी और मैनी की मोहब्बत का कोई अंजाम होगा या राजा-रानी की कहानी की तरह दोनों इस कहानी का भी ‘द एंड’ हो जाएगा। इन सवालों का जवाब तो आपको फिल्म देखने के बाद ही मिल पाएगा।
निर्देशन
इस फिल्म का निर्देशन मुकेश छाबड़ा (Mukesh Chhabra) ने किया है। उन्होंने फिल्म में वास्तव में यह दिखाने की कोशिश की है कि आपकी ज़िन्दगी चाहे कितनी भी छोटी क्यों न हो, उसे किस तरह जीना है यह आपको तय करना है। फिल्म के डायलोग्स बेहद शानदार हैं, जिन्हें आप अपनी असल ज़िन्दगी से जोड़ने की कोशिश भी करेंगे। हालांकि फिल्म ज्यादा लंबी नहीं है, इसके बावजूद बीच-बीच में आपको फिल्म थोड़ी लंबी लग सकती है। फिल्म में कई ऐसे दृश्य हैं, जिन्हें देखने के दौरान आपके चेहरे पर मुस्कान होगी और आँखें नम होंगी।
एक्टिंग
फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत की एक्टिंग की जितनी तारीफ की जाए कम है। उनकी बॉडी लैंग्वेज, चेहरे के एक्सप्रेशन आपको अपने साथ जोड़ने के लिए काफी हैं। वहीं बतौर लीड एक्ट्रेस संजना सांघी की यह पहली फिल्म है और अपनी पहली फिल्म से ही उन्होंने दर्शकों के मन में अपने लिए अलग जगह बना ली है। सुशांत के साथ उनकी केमिस्ट्री कमाल की है। फिल्म में सैफ अली खान (Saif Ali Khan) एक कैमियो रोल में नज़र आएंगे और केवल दो मिनट के रोल में ही वे अपने होने का अहसास दिला देते हैं। किज़ी के माता-पिता के किरदार में नज़र आए स्वस्तिका मुखर्जी और साश्वता मुखर्जी ने भी अच्छा अभिनय किया है।
क्या है फिल्म की खासियत?
फिल्म की सबसे बड़ी खासियत दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत हैं। ये कहना गलत नहीं होगा कि वे जाते-जाते भी लोगों को जीने का सही मतलब सिखा गए। अभी तक आपने कई एक्टर्स को कैंसर पीड़ित व्यक्ति का अभिनय करते देखा होगा। लेकिन जिस खूबसूरती के साथ सुशांत और संजना ने अपना रोल अदा किया है, उन्हें शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। फिल्म की रिलीज़ के बाद से ही सुशांत के फैंस सोशल मीडिया पर फिल्म की तारीफ कर रहे हैं। जो लोग सुशांत के रियल फैन हैं और उन्हें दिल से ट्रिब्यूट देना चाहते हैं तो यह फिल्म बिल्कुल भी मिस ना करें। यदि इस वीकेंड आप अपने किसी खास दोस्त या परिवार के साथ बैठकर यह फिल्म देखेंगे तो यकीनन आप इसे बेहतर तरीके से एन्जॉय कर पाएंगे।