भारत और चीन के बीच कुछ दिनों पहले सीमा पर हिंसक झड़प हुई थी जिसमें भारत के 20 जवानों की शहादत की खबर आई थी लेकिन चीनी सरकार ने यह नहीं बताया कि चीन के कितने सैनिक इस झड़प में मारे गए और कितने सैनिक उस झड़प में घायल हुए? क्या वो मान सकते हैं कि भारत से चीन को विवाद करना महंगा पड़ने लगा है। वाशिंगटन पोस्ट में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता ‘मांडली यांग’ ने इस बात का खुलासा किया है कि पीएलए चीन की सत्ता का एक मुख्य अंग रहा है। यदि पीएलए कैडर की भावनाओं को आहत किया जाएगा तो रिटायर फौजी मिलकर सरकार का विरोध करेंगे। इसमें यह भी लिखा है कि बीजिंग को डर है अगर वह यह बात स्वीकार कर लेता है कि उसके सैनिक भारत की सेना से ज्यादा संख्या में शहीद हुए हैं तो फिर देश में अशांति फैल सकती है और उनकी सरकार भी जा सकती है।
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उन्होंने कहा कि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान से जब पूछा गया कि इस झड़प में कितने सैनिक मारे गए तो उन्होंने साफ कह दिया कि इस बारे में उनके पास कोई जानकारी ही नहीं ही। अगले दिन जब उनसे भारतीय मीडिया की खबरों का हवाला दिया, जिसमें चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों के मारे जाने की बात थी तो उन्होंने इसे गलत सूचना करार दे दिया। इस पोस्ट में यह भी दावा किया गया कि भारत ने अपने सैनिकों की शहादत को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया और उनके अंतिम संस्कार का भी पूरा प्रबंध किया। लेकिन चीनी सरकार ने इस झड़प के एक हफ्ते बाद तक अपने सैनिकों की शहादत नहीं स्वीकार की। इससे पीएलए के 50 लाख से भी ज्यादा पूर्व सैनिकों में सरकार के खिलाफ रोष व्याप्त हो गया है। जो सरकार के लिए एक बड़ी समस्या उत्पन्न कर सकते हैं।