भारत के अपने कई पड़ोसी देशों से सीमा विवाद चल रहा है जिसमे चीन और पाकिस्तान शामिल थे। लेकिन अब कुछ दिनों से पड़ोसी देश नेपाल भी इसी सूची में शामिल हो गया है। पिछले दिनों नेपाली संसद में एक प्रस्ताव पेश हुआ था। जिसमे भारत के तीन क्षेत्रों को नेपाल ने अपने मानचित्र में दर्शाया था। नेपाल ने अपने विवादित नक्शे में भारत के लिपुलेख,लिम्पियाधुरा और काला पानी जैसे क्षेत्रों को अपने नक्शे में दिखाया है। इस मामले में नया मोड़ तब आया जब बुधवार को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने एक बयान में कहा कि ‘लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी विवादित भूमि है, जिसका पूरा भूगोल ही भारत के कब्जे में है।
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कालापानी में भारतीय सेना रख कर वहां से लिपुलेख और लिम्पियाधुरा पर भारत ने कब्जा कर लिया है। ‘ नेपाल के प्रधानमंत्री ने इस विवाद पर कहा कि भारतीय सेना रखकर हमसे हमारी ज़मीन छीनी गई है। जब भारतीय सेना वहाँ नहीं थी तब से वह जमीन हमारी है। सेना कि मौजूदगी के कारण हम वहाँ जा नहीं सकते थे यानि ये एक प्रकार का कब्जा है। इसलिए हम अपने मित्र भारत से बार बार अनुरोध कर रहे हैं, कि हमें हमारी भूमि लौटा दें। ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर हम अपनी ज़मीन वापस लेकर रहेंगे।
विवादित नक्शे को लेकर नेपाली संसद मे हुआ था विधेयक पेश।
नेपाल की कानून मंत्री शिवमाया तुंबाहंफे ने विवादित नक्शे को लेकर संशोधन विधेयक नेपाल की संसद में पेश किया। नेपाल सरकार द्वारा प्रस्तुत इस विधेयक को मुख्य विपक्षी दल ने चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया था। इस विधेयक पर मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने चर्चा की इच्छा जताई थी और इसका समर्थन करने की बात भी कही थी।
नेपाल का यह नक्शा विवादित इसलिए था क्योंकि इस विवादित नक्शे में नेपाल में भारत के कुछ हिस्सों को नेपाल की सीमाओं के भीतर दिखाया है। नेपाल ने अपने विवादित नक्शे में भारत के लिपुलेख,लिम्पियाधुरा और काला पानी जैसे क्षेत्रों को अपने नक्शे में दिखाया था।
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