मोसुल | इराक के प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कदिमी ने संकल्प लिया है कि अब उत्तरी इराक के क्षेत्र को आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का गढ़ नहीं बनने दिया जाएगा। उन्होंने ये ऐलान उत्तरी इराक की यात्रा के दौरान किया है। उनका यह ऐलान ऐसे वक्त हुआ है, जब उत्तरी इराक से अमेरिकी नेतृत्व वाली गठबंधन सेना की वापसी की योजना बना रही है और इस्लामिक स्टेट ने अपने हमले और तेज कर दिए हैं। गौरतलब है उत्तरी इराक हमेशा से आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का गढ़ रहा है।
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इराक के प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कादिमी को पदभार ग्रहण किए अभी एक महीने ही हुए हैं। उत्तरी इराक की इस यात्रा में उनके साथ मंत्रिमंडल के कई मंत्री और सैन्य अधिकारी भी शामिल थे। उनकी उत्तरी इराक की यात्रा ऐसे समय हुई, जब ISIS उत्तरी इराक में अपने वर्चस्व की छठी वर्षगांठ मना रहा है। ISIS ने वर्ष 2014 में उत्तरी इराक के एक तिहाई हिस्से पर अपना नियंत्रण कायम कर लिया था।
साल 2014 में ISIS ने इराक और सीरिया के बड़े भू-भाग पर कब्जा कर लिया था। हालाँकि साल 2017 में इराक ने अमेरिकी सेना के सहयोग से आतंकी संगठन ISIS को अपने शहरी इलाकों से बाहर निकाल दिया था। गठबंधन सेना तब से ही आतंकियों के स्लीपर सेल पर निगरानी रखती है और एयर स्ट्राइक को अंजाम देती है। गठबंधन के तहत इराक में अभी 5 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं।
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इराक पर साल 2003 के अमेरिकी हमले के बाद इस आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट की नींव पड़ी। इस आतंकी संगठन की नींव अबु बकर अल बगदादी ने रखी थी। आइएस का मकसद इराक, सीरिया और उससे बाहर एक इस्लामिक राज्य यानी खिलाफत का निर्माण करना है। ISIS इस वक़्त दुनिया के 18 देशों में सक्रिय है। ISIS की आमदनी का मुख्य स्त्रोत तेल और गैस है जो इराक में प्रचुर मात्रा में पाएं जातें हैं।
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