तबलीगी जमात से बीमार हुए 300 लोग, दिल्ली सरकार की लापरवाही पूरे देश पर पड़ सकती है भारी

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पूरे देश में 21 दिनों के लॉकडाउन लागू किए जाने से कुछ ही दिन पहले 18 मार्च को दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात (Tabligi Jamaat) द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन उसी जगह किया गया जहां दिल्ली में तबलीगी जमात का मुख्यालय है। कोरोना के संक्रमण के बीच आयोजित हुए इस कार्यक्रम ने पूरे देश की दिलों की धड़कन बढ़ा दी है। क्योंकि खबरों की माने तो इस कार्यक्रम में 1000 से भी अधिक लोगों ने हिस्सा लिया था, जिसमें विदेशी लोग भी थे। इस कार्यक्रम को हुए कुछ दिनों का समय बीत गया है लेकिन इसका असर अब सामने आने लगा है।

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में लगे लॉकडाउन के दौरान सोमवार को तेलंगाना में कोरोना से संक्रमित 6 मरीजों समेत 10 लोगों ने दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि ये 10 मरीज दिल्ली में जमात के कार्यक्रम में सम्मलित हुए थे। जांच के बाद पता चला कि जमात के इस कार्यक्रम में 300 लोगों को कोरोना के लक्षण हो सकते है। जबकि 24 लोगों को पॉजिटिव भी पा लिया गया है। इस खबर के बाद से ही ‘तबलीगी जमात’ (Tabligi Jamaat) हर जगह चर्चा में बन गया है। इस बात का डर भी अब सरकार को सता रहा है कि कहीं और लोग इनके संक्रमण में न आए हो। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? इस मामले में मौलानाओं की लापरवाही तो बड़ी वजह है ही लेकिन पुलिस व्यवस्था और दिल्ली सरकार इस मामले को गंभीरता से क्यों नहीं ले पाई? इन सभी सवालों के बीच आईए पहले जानते है कि आखिर क्या है ये तबलीगी जमात?

क्या है तबलीगी जमात और मरकज?

तबलीगी और जमात ये दोनों शब्द एक दूसरे से अलग है। तबलीगी का मतलब होता है, अल्लाह के संदेशों का प्रचार करने वाला, जबकि जमात का अर्थ है समूह, यानी अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला समूह। मरकज का अर्थ होता है मीटिंग के लिए जगह। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस समय तबलीगी जमात से जुड़े करीब 15 करोड़ सदस्य है जो अल्लाह की कही गई बातों का देश भर में प्रचार करते है। इसका मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित है।

कैसे हुई तबलीगी जमात की शुरुआत?

तबलीगी जमात (Tabligi Jamaat) की शुरुआत मुसलमानों द्वारा अपने धर्म की रक्षा के लिए की गई। इस जमात का उद्देश्य इस्लाम को देश भर समेत पूरे विश्व में प्रसारित करना था। ताकि मुगलों के काल में जिन लोगों ने इस्लाम कबूला वह किसी के बहकावे में आकर इस्लाम को न छोड़ दें। तबलीगी जमात का पहला धार्मिक कार्यक्रम भारत में 1941 में हुआ था, जिसमें 25,000 लोग शामिल हुए थे। तबलीगी जमात का काम आज दुनियाभर के लगभग 213 देशों तक फैल चुका है।

कैसे करती है तबलीगी जमात काम?

अलग-अलग हिस्सों के लिए तमाम जमातें निकालने के लिए इस जमात के लोग मरकज करते है। ये जमात 40 से भी ज्यादा दिनों तक भी निकाली जाती है। एक जमात में आठ से दस लोग शामिल होते हैं। जमात में शामिल लोग सुबह-शाम शहर में निकलते हैं और लोगों से नजदीकी मस्जिद में पहुंचने के लिए कहते हैं। इस तरह जगह जगह इसी तरह की जमातो का आयोजन किया जाता है।

जमात के लोगों पर क्यों नहीं हुई कार्यवाही?

खबरों और कुछ रिपोर्ट्स की माने तो अंडमान निकोबार प्रशासन की तरफ से जमात में शामिल 10 लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने की रिपोर्ट दिल्ली सरकार और प्रशासन को पहले ही भेज दी गई थी। लेकिन दिल्ली पुलिस और प्रशासन ने अंडमान की रिपोर्ट मिलने के बाद भी जमात के लोगों के खिलाफ कोई ठोस एक्शन नहीं लिया।

फिर सवालों के घेरें में केजरीवाल सरकार

लॉकडाउन के बाद पहले आनंद विहार पर लाखों मजदूरों की भीड़ और फिर इस जमात के कार्यक्रम ने केजरीवाल सरकार को फिर सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। मरकज में कार्यक्रम नहीं रोक पाने को लेकर अरविंद केजरीवाल पर कई तरह के आरोप लग रहें है। कोरोना के कारण मक्का-मदीना तक बंद है लेकिन अब सवाल यही है कि लॉकडाउन के बीच दिल्ली में जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले इन लोगों की पहचान कई दिनों बाद तक भी कैसे नहीं हो सकी?

10 लोगों की मौत से मचा हड़कंप

इस जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले 10 लोगों की मौत ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया है। कहा जा रहा है कि इस कार्यक्रम में 1000 से ज्यादा लोग शामिल थे। जिसमें 300 लोगों को संरक्षण में रखा गया है। कहा जा रहा है कि इस जमात के कुछ विदेशों से आने के बाद अलग अलग राज्यों में भी गए थे। ऐसे में अब देखना होगा कि तबलीगी जमात की ये लापरवाही कितने लोगों पर भारी पड़ती है।

Image Source: Tweeted by @tv9bharatvarsh

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