पाकिस्तान के खिलाफ खराब है बाजी करने के कारण भारत की मशहूर गेंदबाज मोहम्मद शमी को ऑनलाइन ट्रोलिंग का निशाना बनाया गया था। आपको बता दें कि इसके बाद मोहम्मद शमी के समर्थन में सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण, वीरेंद्र सहवाग समेत कई बड़े खिलाड़ी आगे आए। इस पूरे मामले का अध्ययन यदि गहनता से किया जाए तो ये बात साबित होती है कि भारत की बदनामी के लिए एक षड्यंत्र रचा गया था। भारत में धर्म के आधार पर सहिष्णुता और असहिष्णुता का खेल एक बार फिर शुरू किया जा सके। क्योंकि शमी को निशाना बनाने वाले ट्विटर अकाउंट को यदि ध्यान से देखा जाए तो यह बात साफ होती है कि इनमें से ज्यादातर अकाउंट पाकिस्तान के थे।
मशहूर खिलाड़ियों ने किया था मोहम्मद शमी का समर्थन
आपको बता दें कि भारत और पाकिस्तान के मैच में भारत की हार हुई, तो उस समय भारत के बहुत सारे देश विरोधी लोग जश्न मनाने लगे। देश के अलग-अलग हिस्सों में आतिशबाजी हुई और बहुत सारे लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। इसी जश्न के दौरान मोहम्मद शमी को भी ट्रोल किया जा रहा था। मोहम्मद शमी को सोशल मीडिया के माध्यम से खूब गालियां दी जा रही थी। ऑफ इंडिया की मीडिया रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि सोशल मीडिया पर ऐसे बहुत कम ट्वीट्स थे जो मोहम्मद शमी की आलोचना कर रहे थे। और ऐसे ट्विट्स बहुत ज्यादा संख्या में थे जो मोहम्मद शमी के खिलाफ अभद्र भाषा या गाली का प्रयोग कर रहे थे।
साभार: ट्विटर
आपको बता दें कि ऑपइंडिया की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि कैसे हमले को पड़ोसी देश पाकिस्तान से डिजाइन और अंजाम दिया गया था। रिपब्लिक न्यूज ने बताया कि एक ट्विटर यूजर Alitaza45896998 ने ट्विटर पर शमी के खिलाफ 28 अपमानजनक टिप्पणियाँ पोस्ट कीं। जाँच से पता चलता है कि अकाउंट 15 लोगों को फॉलो करता है जिनमें से सभी पाकिस्तानी हैं। उनमें से कुछ अकाउंट तो ऐसे हैं जिनका काम ही केवल भारत का विरोध करना है।
वामपंथी पत्रकारों ने दिया षड्यंत्रकारियों का साथ
हमेशा भारतीय संविधान की दुहाई देने वाले वामपंथी पत्रकार इस घटना पर भारत की एकता को खंडित करने के तमाम प्रयास करते रहे। वामपंथी पत्रकारों ने इस पूरी घटना के लिए हिंदू वासियों को जिम्मेदार ठहराया। NDTV के ब्यूरो चीफ सौरभ गुप्ता ने कहा, “सांप्रदायिक व्यवहार तब होता है जब टीम के हारने पर एक खिलाड़ी को गालियाँ दी जाती हैं। मोहम्मद शमी एक परफॉर्मिंग क्रिकेटर हैं और हार के लिए टीम के किसी अन्य सदस्य की तरह ही जिम्मेदार हैं। लेकिन उनके मजहब के कारण उन्हें गालियाँ नहीं दी जानी चाहिए।”