भारत के प्रधानमंत्री का अमेरिका दौरा काफी उत्साहित करने वाला है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और कमला हैरिस से मुलाकात कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका और भारत के बीच के रिश्तों को एक नया आयाम दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कमला हैरिस को बहुत सारे गिफ्ट भी दिए हैं और अब पीएम मोदी को अमेरिका की ओर से गिफ्ट दिए जा रहे हैं।अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ दोस्ती का नया अध्याय लिखने के बाद अब भारत के प्रधानमंत्री भारत की बेशकीमती मूर्तियों को लेकर भारत आएंगे। यह कलाकृतियां और पुरावशेष तस्करी और चोरी करके कभी अमेरिका ले जाए गए थे। इसके साथ ही उन्होंने और राष्ट्रपति जो बाइडन ने सांस्कृतिक वस्तुओं के अवैध कारोबार, चोरी और तस्करी से निपटने के प्रयासों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। एक आधिकारिक बयान में शनिवार को कहा गया कि लगभग आधी कलाकृतियां (71) सांस्कृतिक हैं, जबकि अन्य आधे में हिंदू धर्म (60), बौद्ध (16) और जैन धर्म (9) से संबंधित मूíतयां हैं। मोदी ने भारत के पुरावशेषों के प्रत्यावर्तन के लिए अमेरिका के प्रति अपना आभार व्यक्त किया है।
मोदी है तो मुमकिन है
आपको बता दें कि इन 157 कलाकृतियों की सूची में 10 वीं शताब्दी के बलुआ पत्थर में रेवंत के डेढ़ मीटर बेस रिलीफ पैनल से लेकर 12वीं शताब्दी की 8.5 सेंटीमीटर ऊंची कांसे की नटराज की मूर्ति शामिल है। दरअसल मोदी सरकार ने दुनिया भर से भारत की प्राचीन वस्तुओं और कलाकृतियों को वापस लाने की मुहिम छेड़ रखी है। ये 157 कलाकृतियां उसी मुहिम के तहत वापस लाई जा रही हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि 1976 से 2013 के बीच विभिन्न सरकारें विदेश से केवल 13 पुरावशेष ही वापस ला पाईं। 2014 में जब से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं तबसे अब तक 200 से अधिक पुरावशेष या तो वापस आ गए हैं या वापस आने की प्रक्रिया में हैं। सूत्रों के अनुसार, 2004 और 2014 के बीच केवल एक कलाकृति ही भारत लौट पाई। देखा जाए तो मोदी सरकार चार दशक पहले की तुलना में अधिक प्राचीन भारतीय कलाकृतियां वापस लाई है।