हम सभी जानते हैं कि प्राकृतिक रूप से उगाई गयीं वस्तुएं रासायनिक छिड़काव से उगाई गयी वस्तुओं से ज्यादा लाभदायक होती हैं। आज़ हम आपको बताने जा रहे हैं प्राकृतिक सेब के बारे में। प्राकृतिक तौर पर उगाया गया (आर्गेनिक) सेब स्वाद व सुगंध से भरपूर होने वाला ये पौधा कम लागत के यूज़ से उग जाता है। ये स्वास्थ्य के लिए औषधि के भी समान है। हिमाचल प्रदेश में बीते दो वर्षों से बागवान प्राकृतिक तौर पर सेब उगा रहे हैं। आपको बता दें कि इन परिवारों की संख्या करीब 12 हजार है। हर वर्ष करीब पांच लाख मीट्रिक टन आर्गेनिक सेब का उत्पादन होता है। इसका उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। लोगों के स्वास्थ्य के प्रति सचेत होने के कारण इनकी मांग बढ़ रही है।
दैनिक जागरण में छपी रिपोर्ट के अनुसार अन्य सेब की अपेक्षा इसकी कीमत 10 से 12 रुपये प्रति किलो अधिक मिल रही है। इन सेबों में कम बीमारियां देखने को मिल रही हैं। यह सेब एंटीआक्सीडेंट के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करता है। आर्गेनिक सेब स्वास्थ्य के लिए औषधि के समान है, जबकि रासायनिक सेब हानिकारक प्रभाव देता है। प्राकृतिक तरीके से उगाए सेब की तुलना में रासायनिक खाद्य से उगाया गया सेब जल्दी खराब हो जाता है। कार्यकारी निदेशक प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान परियोजना के तहत राजेश्वर चंदेल का कहना है रासायनिक तौर पर उगाए जाने वाले सेब की अपेक्षा इस पर दस गुणा दवाओं व खादों पर कम खर्च होता है। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है।
हिमाचल में सेब उत्पादन पर एक नजर
वर्ष 2019-20 में शिमला, कुल्लू, मंडी, चंबा, किन्नौर, लाहुल स्पीति, कांगड़ा और सिरमौर में क्रमशा 437024, 131194, 57158, 28083, 56864, 302, 304, 4291 इतने सेब उगाये गए अर्थात कुल 715253 सेब उगे। इसी प्रकार 2020-21, में 247179, 92260, 49143, 14451, 73330, 310, 336, 4017 इतने सेब उगाये गए अर्थात कुल 481062 सेब उगे। और 2021-22 में 397894, 123223, 49792, 11084, 52928, 362, 252, 8275 इतने सेब उगाये गए अर्थात कुल 643845 सेब उगे।