देवेंद्र झाझड़िया वो नाम है जिससे वर्तमान में कम ही लोग जानते हैं। और आज की युवा पीढ़ी ने तो शायद ये नाम पहली बार सुना हो। इस शख़्स ने वो कारनामा किया था जो अब तक भारत का कोई अन्य खिलाड़ी नहीं कर पाया। सितंबर 2016 में रियो, ब्राज़ील में पैरालिंपिक (Paralympic) खेल चल रहे थे, जैवलीन थ्रो करने के लिए मैदान में उतरे देवेंद्र ने भाले फेंकने के खेल में इतिहास रच दिया था। उस तारीख़ को देवेंद्र ने पैरालिंपिक का दूसरा गोल्ड मेडल जीता था। आपको बता दें कि आज तक किसी भारतीय एथलीट ने ओलंपिक या पैरालिंपिक खेलों में दो स्वर्ण मेडल नहीं जीते हैं। देवेंद्र झाझड़िया का रिकॉर्ड अब तक अटूट है। देवेंद्र झाझड़िया ने रियो 2016 से पहले 2004 एथेंस में भी जैवलीन थ्रो में गोल्ड मेडल जीता था।
The Hindu के साथ हुई बात-चीत में देवेंद्र ने बताया था कि जब वे 8-9 साल के थे तब उन्हें तेज़ बिजली का झटका लगा था। उन्होंने कहा, ‘मैं चुरु, राजस्थान स्थित अपने गांव के एक पेड़ पर चढ़ रहा था और मैंने अनजाने में 11,000 वोल्ट का बिजली का तार छू लिया। ये दुर्घटना इतनी भयंकर थी कि मेरे बाएं हाथ को तुरंत काटना पड़ा। मैं उस हादसे से उबर पाऊंगा या नहीं इस बारे में सभी को संशय था।’ देवेंद्र ने बताया, “जब उन्होंने मुझे पेड़ से उतारा तो मुझे मृत घोषित कर दिया गया था… मेरा बांया हाथ पूरी तरह जल गया था लेकिन मुझे धीरे-धीरे होश आया। डॉक्टर के पास ले गए तो उसने कहा था कि मैं जीवन में कभी शक्तिशाली नहीं बन पाऊंगा। लेकिन ऊपरवाले की कुछ और ही मर्ज़ी थी।” देवेंद्र ने कहा, “मैंने जब अपने आस-पास देखा तो मैंने ऐसे बहुत सारे लोगों को देखा जिनके पास दोनों हाथ या दोनों पैर नहीं थे और मुझे लगा कि मैं क़िस्मतवाला हूं कि मेरे पास मेरा दांया हाथ है…”