पाकिस्तान में महगांई अपने चरम पर है। लोगो पर महंगाई की मार इस कदर है की खाने तक के लिए लोग तरस रहे है। पाकिस्तान की इतनी खस्ता हालत है कि वहां के कर्मचारियों तक के वेतन कर्ज लेने के बाद चुकता किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इमरान सरकार को जम के लताड़ा और कहा कर्ज लेकर वेतन देना बहुत ही खतरनाक कृत्य है।
स्थानीय मीडिया के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद ने एक कर्मचारी के मुकदमे में टिप्पणी की “सरकारी विभागों में पहले तो सरकार ने अत्यधिक कर्मचारियों की भर्ती कर ली गई है और अब वेतन देने के लिए कर्जा ले रही है।”
स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान (एसबीपी) की एक रिपोर्ट के अनुसार मई में चिकन की कीमतों में 60 फीसद, अंडे की कीमतों में 55 फीसद और सरसों के तेल में 31 फीसद बढ़ोत्तरी हुई है। यहां तक कि पेट भरने के लिये जरूरी गेहूं की कीमत भी मई में 30 फीसद ज्यादा हो गई है। गेहूं पर महंगाई और बढ़ सकती है, क्योंकि इस बार बीस लाख मीट्रिक टन गेहूं उत्पादन में कमी आई है।
महंगाई के मुद्दे पर चौतरफा घिरती इमरान सरकार
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज ने कहा कि एक महीने में खाद्य महंगाई 10 फीसदी से नीचे नहीं गई है। जब महंगाई 17 फीसदी से 21 फीसदी के बीच होगी तो गरीबों का क्या होगा? इमरान खान और उनके मंत्रियों के अलावा पाकिस्तान में ऐसा कोई नहीं है जिसकी आमदनी बढ़ी हो। वहीं पूर्व वित्तमंत्री मिफ्ता इस्लाइल ने कहा कि पचास लाख युवक बेरोजगार हैं। साढ़े सात करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनको 18 हजार रुपये से भी कम वेतन मिलता है। देश कुछ सरकारी खाद्य बैंकों के भरोसे जिंदा नहीं रह सकता।