रास्ते में पुलिस कर रही है वसूली, कर्फ्यू के कारण घर लौट रहे मजदूरों ने लगाए गंभीर आरोप

महाराष्ट्र में बिगड़ते हालात के कारण 15 दिनों के कर्फ्यू की घोषणा की गई है। इसके बाद मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के प्रवासी श्रमिक अपने मूल स्थान की तरफ लौटने लगे हैं। अपने घर लौट रहे इन मजदूरों ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि पुलिस के द्वारा जबरन वसूली की जा रही है।

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प्रतीकात्मक चित्र

देश में संक्रमण के मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं उसे देखकर सभी प्रदेश नए कि नियम कानून बना रहे हैं। नाइट कर्फ्यू तथा लॉकडाउन की घोषणा भी की जा रही है। आज देश में लगभग 1500000 संक्रमण के मामले पूरे हो सकते हैं। पिछले 24 घंटे में करीब 200000 कोरोनावायरस ने सामने आए हैं। संक्रमण का सर्वाधिक प्रभाव प्रारंभ से ही महाराष्ट्र राज्य पर रहा है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निर्देशों पर प्रदेश में नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है। नाइट कर्फ्यू की घोषणा के बाद लोगों को ऐसा लग रहा है कि प्रदेश में लॉकडाउन भी लगाया जा सकता है इसीलिए मध्य प्रदेश बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश सहित कई प्रदेशों के प्रवासी मजदूर अपने प्रदेश लौट रहे हैं। अपने प्रदेश लौटते हुए इन श्रमिकों ने महाराष्ट्र पुलिस पर अवैध वसूली का आरोप लगाया है।

मध्य प्रदेश के इंदौर जिला में राऊ थाना पुलिस एक एनजीओ की मदद से वापस लौट रहे श्रमिकों की मदद करने में जुटी है। उनके लिए जलपान आदि की व्यवस्था कर रही है। महाराष्ट्र से इंदौर लौटे एक टैक्सी ड्राइवर ने कहा, “हम अपने घरों को लौट रहे हैं क्योंकि कर्फ्यू की घोषणा के बाद आजीविका कमाने की समस्या थी। मैंने पिछले साल भी लॉकडाउन के दौरान वहां से पलायन किया था, लेकिन स्थिति में सुधार होने के बाद वापस लौट गया था।पिछले साल की तरह इस बार भी पुलिस हमसे जबरन वसूली कर रही है।”

महाराष्ट्र से लौट रहे सनाउल्लाह खान ने कहा, “हम पुणे से आ रहे हैं। एक यात्री बस ने उनसे प्रति टिकट 2,500-3000 रुपये लिए। फिर भी, उन्होंने हमें महाराष्ट्र की सीमा पर बस से उतार दिया और इन दोनों वाहन पर सवार होने के लिए कहा। बॉर्डर चेकिंग प्वाइंट पर पुलिस और परिवहन विभाग ने जीपों की अनदेखी की।”

समाज के बहुत सारे लोग अब इन श्रमिकों की मदद करने के लिए सामने आ रहे हैं। शैलेश कुमावत ने हिंदुस्तान को कहा कि पुलिस प्रशासन की मदद से हमने प्रवासी लोगों को कुछ राहत प्रदान करने के लिए यह तम्बू लगाया। उन्होंने कहा, “भोजन और आराम करने के लिए जगह के अलावा, यहां आने वालों के लिए डॉक्टर और दवाइयां भी उपलब्ध हैं। यदि आवश्यकता होती है, तो हमने अस्पताल से भी मदद लेते हैं। यहां आने वाले लोगों को थका हुआ होने पर भोजन और आश्रय की आवश्यकता होती है।”

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