विश्व में जब कभी सबसे लोकप्रिय खेल का नाम लिया जाता है तो उसमें क्रिकेट का नाम लोगों की जुबां पर सबसे पहले आता है। क्रिकेट के दीवाने दुनिया के कोने कोने में बसे है। भारत में तो क्रिकेट को धर्म की तरह पूजा जाता है। लेकिन क्रिकेट के अलावा एक अन्य खेल और है जिसकी लोकप्रियता को कम नहीं आंका जा सकता। जी हां, हम बात कर रहें है फुटबॉ़ल की। अगर लोकप्रियता की बात की जाए तो फुटबॉल एकमात्र ऐसा खेल है जो विश्वभर में क्रिकेट से भी कई ज्यादा प्रसिद्ध माना जाता है। क्रिकेट के बाद भारत समेत अन्य देशों के अखबारो में फुटबॉल की खबरें फ्रंट पर छपी मिलती है। जिस तरह से भारत में क्रिकेट वर्ल्ड कप लोगों की भावनाओं से जुड़ा है ठीक उसी तरह फीफा का भी क्रेज कुछ कम नहीं है।
ब्राजील, फ्रांस और अन्य यूरोपियन देशों में फुटबॉल अपनी धाक जमा चुका है लेकिन अगर भारत की बात करें तो अब फुटबॉल की लोकप्रियता ने भारत में भी रफ्तार पकड़नी शुरु कर दी है। यह कहना गलत नहीं होगा की मौजूदा समय में भारतीय फुटबॉल टीम पूरे विश्व में न सही लेकिन एशिया की सबसे अच्छी टीमों में गिनी जाती है। भारतीय टीम के कप्तान सुनील छेत्री की बदौलत आज पूरे देश में लोग फुटबॉल को क्रिकेट की तरह ही प्यार दे रहें है। ऐसे में माना जा सकता है कि आने वाले समय में फुटबॉल को भारत में एक अलग स्तर के साथ देखा जा सकता है। हालांकि भारत को अभी फुटबॉलिंग पावरहाउस बनने में कई बड़ी चुनौतियों और बाधाओं का सामना करना पड़ेगा।
फुटबॉ़ल में काफी पीछे भारत
भलो ही पिछले कुछ सालों में भारतीय फुटबॉल ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर थोड़ी प्रगती जरूर की हो लेकिन अभी भी फुटबॉल की दुनिया में भारत काफी पीछे खड़ा दिखाई देता है। मौजूदा समय में भारत अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में 103 पायदान पर काबिज़ है जो इस बात को बयां करने के लिए काफी है कि अभी भी भारत में फुटबॉल को लेकर काफी कुछ किए जाने की ज़रूरत है। हालांकि लगातार आयोजित होते टूर्नामेंट्स और लीग के चलते इस खेल में भारत में बसे फुटबॉल फैंस को एक बार फिर इस खेल के प्रति जागरूक करने का काम शुरु कर दिया है।
भारत में फुटबॉल की शुरुआत
ऐसा माना जाता है कि फुटबॉल भारत में लोकप्रिय हुई है तो उसके पीछे नागेंद्र प्रसाद सर्वाधिकारी का योगदान है। भारत एक समय ब्रिटेन के अधीन था और तभी से देश को इस खेल में पहचान मिलनी शुरु हुई थी। शुरुआत में फुटबॉल मैच सैनिक टीमों के बीच खेले जाते थे। सीघ्र ही फुटबॉल क्लब भी बनने लगे। इनमें से कई क्लब आधुनिक फुटबॉल संगठन फीफा आदि के बनने से भी पहले बन चुके थे। भारत में फुटबॉल मुख्यतः पश्चिम बंगाल, गोआ, केरल, मणिपुर, मिजोरम और सिक्किम में पनपा और यहीं से उसे नई दिशा भी मिली।
1950 विश्व कप के लिए जब भारत ने किया क्वालिफाई
1948 के ओलंपिक खेलों में भारतीय टीम ने गजब का खेल दिखाया और अपने प्रदर्शन से सभी का दिल जीता। उस ओलंपिक में भारतीय टीन ने अपनी सभी मैच नंगे पैर खेले थे। 1948 ओलंपिक खेलों में शानदार खेल दिखाने के बाद भारत ने 1950 फीफा विश्व कप के लिए क्वालिफाई किया। हालांकि इस दौरान फीफा ने पहले ही भारत को आगाह कर दिया था कि अगर भारत को टूर्नामेंट में हिस्सा लेना है तो उन्हें नंगे पैर नहीं बल्कि जूतों में खेलना होगा। उस समय विश्व की कई बड़़ी टीमों ने भी इस बात को मान लिया था कि भारतीय फुटबॉल टीम यहां से पीछे मुड़कर कभी नहीं देखने वाली। लेकिन ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन ने घोषणा कर दी कि वो टीम चयन से संतुष्ट नहीं है और साथ ही टीम के खिलाड़ियों ने इस टूर्नामेंट के स्तर का अभ्यास नहीं किया है और इस कारण भारतीय टीम इस विश्व कप में शामिल नहीं होगी। अगर भारत उस समय फीफा विश्व कप खेल जाता तो आज टीम इंडिया फुटबॉल की दुनिया में खुद को एक अलग मुकाम पर देखती।
भारत में फुटबॉल की कम लोकप्रियता का कारण?
भारत को खेलों का का देश माना जाता है। लेकिन आखिर क्या कारण था कि भारत में फुटबॉल को वो पहचान नहीं मिली जो इस खेल को मिली चाहिए थी। इसके कई कारण माने जा सकते है। 1983 के दौर में भारतीय क्रिकेट को कपिल देव ने एक अलग स्तर तक पहुंचा दिया था। 1983 क्रिकेट विश्व कप को जीत कर टीम इंडिया ने भारत में क्रिकेट को पूरी तरह से लोकप्रीय कर दिया था। फैंस क्रिकेट को इस कदर चाहने लगे कि उनका ध्यान फिर कभी किसी अन्य खेल पर नहीं गया।
दूसरी तरफ पिछले कुछ सालों में, भारतीय फुटबॉल टीम के खिलाड़ी देश में बुनियादे सुविधाओं की कमी से आज भी जूझ रही है। भारतीय फुटबॉल को आगे लेकर जाने में टीम को उन सुविधाओं का साथ नहीं मिल रहा जिसकी असल में देश को जरूरत है। फुटबॉल का भारत में उदय ना हो पाने का एक कारण ये भी है कि इस देश की मीडिया फुटबॉल को इतनी कवरेज नहीं दे पाई जिसके बाद इस खेल को भारत में लोकप्रीयता दी जा सके। आज भी देश के कई क्षेत्रों में भारतीय फुटबॉल टीम के लाइव मैचों को देखने का मौका नहीं मिल पाता। मीडिया के अभाव और कवरेज की कमी ने भारत में फुटबॉल की लोकप्रीयता बढ़ने में बाधा डाली है।
कितनी प्रगति की ओर फुटबॉल
भले ही इतिहास में फुटबॉल भारत में आगे नहीं बढ़ पाया हो लेकिन अब समय के साथ फुटबॉल देश में लोकप्रीय होता जा रहा है। पिछले 3-4 सालों से, भारतीय फुटबॉल काफी आगे बढ़ रहा है। इंडियन सुपर लीग के बाद फैंस एक बार फिर फुटबॉल की तरफ आकर्षित हुए है। भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) यह सुनिश्चित कर रहें है कि एक बार फिर कैसे फुटबॉल की दुनिया में भारत का परचम लहराया जा सके। साथ ही सरकार ने भी भारतीय फुटबॉल टीम की तरफ ध्यान देना शुरु कर दिया है।