अमेरिका लगातार पाकिस्तान की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं और पाकिस्तान के द्वारा जिस तरह पूरे विश्व में आतंकवाद फैलाने की नापाक कोशिश की जा रही है उसके खिलाफ भी अमेरिका मुहिम चलाता रहा है। इसी बीच बताया जा रहा है कि वॉशिंगटन ने लश्कर-ए-तैयबा को विदेशी आतंकी संगठनों की सूची में बरकरार रखा है। कई अन्य संगठनों को भी विदेशी आतंकी संगठन का दर्जा दिया गया है। अमेरिकी विदेश विभाग का यह आदेश FTF की अगले महीने होने वाली बैठक से ठीक पहले आया है, पाकिस्तान और FTF की ग्रेट लिस्ट में बना हुआ है लेकिन अगर वह ट्रेडर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर 27 पॉइंट के एक्शन प्लान को पूरा नहीं करेगा तो उसे काली सूची में डाला जा सकता है।
वर्ष 2008 में मुंबई हमले को अंजाम देने वाले लश्कर-ए-तैयबा को अमेरिका ने वर्ष 2001 में आतंकी संगठन करार दिया था। विदेशी आतंकी संगठन का दर्जा देने के बाद इन संगठनों पर हमले की योजना बनाने और हमला करने के संसाधन जुटाने की कोशिश पर लगाम लगाई गई थी। यह भी बताया जाता है कि अमेरिका में संगठन से जुड़े लोगों की संपत्ति को जप्त किया गया था। तथा देश के नागरिकों से इन से संबंध तोड़ने को भी कहा गया था। कई मीडिया रिपोर्ट बताती हैं इन लोगों को मदद देना भी आपराधिक श्रेणी में आता है। इसके अलावा अमेरिका ने आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए वर्ष 2019 में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद सहित अन्य आतंकी संगठनों के करीब 6.3 करोड़ की वित्तीय मदद पर रोक लगाई थी। अमेरिका ने लश्कर के 342000 डॉलर जिसके 1725 डॉलर, हरकत उल मुजाहिदीन के 45798 डॉलर के कोष पर रोक लगाने की सफलता हासिल की थी। इन तीनों को पाकिस्तान का प्रसिद्ध आतंकी संगठन माना जाता है।