असम में बंद होंगे सरकारी मदरसे, भारी हंगामे के बीच विधानसभा से पारित हुआ बिल

असम में बुधवार को सरकारी मदरसों को सरकारी विद्यालय में बदलने का बिल पास हो गया। विधानसभा में इस बिल पर काफी हंगामा हुआ लेकिन भाजपा गठबंधन के सभी दलों ने इसे समर्थन दे दिया।

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चित्र साभार: ट्विटर @sarbanandsonwal

असम में बुधवार को सरकारी मदरसों को सरकारी विद्यालयों में बदलने वाला बिल पास हो गया। हालांकि इस बिल को पास होने में काफी समय लगा और सदन में काफी हंगामा भी हुआ। कांग्रेस ने बिल को प्रवर समिति में भेजने के प्रस्ताव को खारिज होते हुए देख सदन से वॉकआउट कर दिया। कांग्रेस पार्टी के साथ ही ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट ने भी इस बिल पर पर्याप्त चर्चा कराने के लिए इस बिल को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की। लेकिन शिक्षा मंत्री हेमंत विश्व सरमा ने उनकी इस मांग को ठुकरा दिया। भाजपा गठबंधन के सभी दलों ने इस बिल का समर्थन किया जिसमें असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट शामिल है। इस विधेयक में दो मौजूदा अधिनियमों असम मदरसा शिक्षा1995 तथा असम मदरसा शिक्षा का प्रांतीयकरण और मदरसा शिक्षा संस्थानों का पुनर्गठन अधिनियम 2018 को समाप्त करने का प्रस्ताव है।

विपक्ष के सवालों के जवाब में असम के शिक्षामंत्री ने कहा, “मुझे लगता है कि अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों के लिए यह एक उपहार है। इन मदरसों में पढ़ने वाले छात्र 10 साल बाद इस फैसले की सराहना करेंगे।” इस विधेयक के अनुसार अगले साल 1 अप्रैल से सभी सरकारी मदरसे, उच्च प्राथमिक उच्च और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में बदल जाएंगे। “हालांकि यह बताया जा रहा है कि विद्यालय के स्टाफ और वेतन में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं किया जाएगा। सरकार द्वारा संचालित इन 610 मदरसों पर 260करोड़ रूपये की धनराशि खर्च होती हैं।”

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