कृषि आंदोलन को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बातचीत में कई प्रमुख बातें कहीं। केंद्रीय मंत्री का कहना है कि हमने किसानों के सभी सवालों का जवाब लिखित रूप से उन्हें भेजा। लेकिन किसान फैसला नहीं कर पा रहे हैं यह चिंता का विषय है। बातचीत में किसानों की यूनियन ने हमें समस्याएं नहीं बताई हमने स्वयं समस्याओं को पहचाना और उन्हें बताया। सभी मुद्दों पर सिलसिलेवार तरीके से प्रस्ताव बनाकर हमने उन्हें भेजा। किसानों की मांग तो कानून वापस लेने की है। हमारा कहना है कि जिन कानूनों पर किसानों को आपत्ति है हम उन पर खुले मन से विचार करने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों का मानना है कि कृषि राज्य का विषय है और केंद्र उसके लिए कानून नहीं बना सकता। हमने उन्हें बताया है कि ट्रेड के लिए केंद्र सरकार को कानून बनाने का अधिकार है। हमने इन कानूनों को ट्रेड तक ही सीमित रखा है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों को आशंका है कि ट्रेड कानूनों के कारण मंडिया दिक्कत में फंस जाएंगी। हमने उनसे इस आशंका पर विचार करने की बात कही। हमने उनसे कहा कि राज्य सरकार है निजी मंडियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था को लागू कर सकेंगी।
मैंने सबको आश्वस्त किया है कि MSP चलती रहेगी। इस पर कोई खतरा नहीं है। MSP पर रबी और खरीफ फसल की खरीद इस साल बहुत अच्छे से हुई। इस बार रबी की फसल का बुआई के समय ही MSP घोषित कर दिया गया। मोदी जी के नेतृत्व में MSP को डेढ़ गुना कर दिया गया है: केंद्रीय कृषि मंत्री https://t.co/rXQf5TGfuK
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 10, 2020
केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि किसानों को आशंका है कि बड़े उद्योगपति उनकी जमीनों को हड़प लेंगे। हमने इसका प्रबंध पहले से ही अपने कानून में कर रखा है। हमने कहा जो भी एग्रीमेंट होगा वह किसान की फसल और प्रोसेसर के बीच होगा। भूमि से संबंधित लीज, पट्टा या करार नहीं कराया जा सकता। कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों का मानना है कि यदि कोई प्रोसेसर उनकी जमीन पर कोई इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करता है तो उसका लोन किसान को देना होगा। इस मामले पर सरकार ने कहा कि हमने पहले ही साफ कर दिया है कि यदि कोई भी प्रोसेसर किसी किसान की जमीन पर कोई इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करता है, तो उसे अपना इंफ्रास्ट्रक्चर साथ ले जाना होगा अन्यथा भूस्वामी का उस पर अधिकार होगा।