क्या आप जानते हैं कि सांप की जीभ दो भागों में कटी हुई क्यों होती है, आइए उठाते हैं रहस्य से पर्दा

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सांप के बारे में आप सभी जानते हैं, बहुत सारे लोगों को सांपों से डर भी लगता है… यह बताया जाता है कि दुनिया भर में सांपों की 2500 से 3000 प्रजातियां पाई जाती हैं… सांपों की बहुत सारी प्रजातियां ऐसी होती हैं जो बहुत अधिक विषैली होती है जिनके जहर से मात्र 5 मिनट में व्यक्ति दुनिया छोड़ सकता है! वहीं कुछ सांप होते हैं जो देखने में बहुत खूबसूरत होते हैं। आपने सांपों में एक विशेष चीज नोट की होगी कि सांप की जीभ दो भागों में कटी हुई होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका कारण क्या है? आइए हम आपको बताते हैं इसका कारण!..

सांपों की जीभ दो भागों में बटी हुई होती है। इसके लिए हिंदू धर्म में पुरानी कहानी है। हिंदू धर्म में बहुत सारे साँपो का जिक्र है। भगवान शंकर के गले में पड़ा हुआ नाग, भगवान श्री कृष्ण ने जिस नृत्य किया था वह कालिया नाग और भगवान श्री नारायण जिस नाग पर विश्राम करते हैं वह शेषनाग!… यह बताया जाता है कि महाभारत काल के दौरान महर्षि कश्यप कि 13 पत्नियां थी। कद्रु भी उन्हीं पत्नियों में से एक थी। महर्षि कश्यप की एक अन्य पत्नी का नाम विनता था गरुण उन्हीं की संतान थे । महर्षि कश्यप की इन दोनों पत्नियों ने एक घोड़ा देखा जिसके बाद दोनों पत्नियों में यह शर्त लग गई कि घोड़े की पूंछ काली है या सफेद। सर्पों की मां यानी कि कद्रू ने कहा कि घोड़े की पूंछ काली है, गरुण की मां विनता ने कहा कि घोड़े की पूंछ सफेद है। कद्रू ने अपनी संतानों यानी सांपों से कहा कि तुम इस घोड़े की पूंछ पर जाकर चिपक जाओ जिससे कि एक घोड़े की पूंछ काली देने लगे।

उनकी संतानों ने काफी सोच-विचार के बाद कुछ भी नहीं किया और माँ ने अपनी संतानों को शाप दे दिया!.. मां ने श्राप दिया कि तुम सभी राजा जनमेजय के यज्ञ में भस्म हो जाओगे। उसके सांपों ने अपनी मां की आज्ञा मान ली और घोड़े की पूंछ से जाकर चिपक गए । फल स्वरुप कद्रू ने शर्त जीत ली और विनता उनकी दासी हो गई। गरुड़ ने अपनी मां को छुड़ाने के लिए जब सर्पों से पूछा,कि मैं अपनी मां को तुम्हारी दासता से मुक्त कराने के लिए क्या कर सकता हूं? तब उन्होंने कहा कि तुम हमें अमृतकलश ला कर दो। फल स्वरुप गरुण ने स्वर्ग लोक से अमृत कलश लाकर कुशा नामक घास पर रख दिया। सांपों ने कहा कि पहले हम स्नान कर लें उसके बाद अमृत का पान करेंगे। लेकिन जब तक सर्प आते तब तक देवराज इंद्र अपना अमृत कलश वापस ले जा चुके थे। सांपों ने सोचा कि अब अमृत कलश तो है नहीं लेकिन जिस घास पर अमृत रखा था उस घास पर जरूर अमृत की छींटे गिरी होंगी। सभी सांप उस घास को चाटने लगे जिसके कारण उनकी जीभ दो भागों में बंट गई।

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