जो बाइडेन पिछले 33 वर्षों से अमेरिका का राष्ट्रपति बनने की कोशिश कर रहे थे। वर्ष 1987 में दावेदारी के दौरान किसी दूसरे नेता के भाषण की नकल करने के आरोप में उन्हें अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे। वर्ष 2007 में वह फिर इस होड़ में शामिल हुए,परंतु बाद में उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली। साल 2007 में जो बाइडेन को ओबामा ने अपना नायब बनाया तो वह अमेरिका के 47 पर उपराष्ट्रपति बने और उनके राष्ट्रपति बनने पर भारत के संबंधों को लेकर तमाम बातें सामने आ रही है। इन बातों का ज्यादा तूल पकड़ना इस आधार पर उचित नहीं होगा क्योंकि बाइडेन भारत के साथ मजबूत संबंधों के पक्षधर रहे हैं। अमेरिका की विदेश मामलों की कमेटी का चेयरमैन रहते हुए उन्होंने भारत के साथ संबंधों को लेकर एक विशेष रणनीति बनाई थी। वर्ष 2006 में उन्होंने यहां तक कह दिया था कि उनका सपना है, “वर्ष 2020 तक भारत और अमेरिका सबसे गहरे मित्र बन जाए…”
भारत से घनिष्ठ संबंधों की बात बाइडेन ने उस समय कही थी जब वह अमेरिका के उपराष्ट्रपति नहीं बने थे वर्ष 2008 में भारत और अमेरिका के बीच हुए परमाणु करार में भी बाईडेन ने एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। इसके लिए उन्होंने न सिर्फ ओबामा को तैयार किया था अपितु उस समय सीनेटर भी वही थे,बल्कि अन्य सांसदों को भी उन्होंने ही तैयार किया था । बाईडेन और ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका ने पहली बार भारत को अपना रक्षा साझेदार माना और इसी वजह से भारत को रक्षा के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक मिलने की राह आसान हुई थी।
इसके अलावा जो बाइडेन कर रवैया आतंकवाद के खिलाफ माना जाता है जो कि भारत के लिए एक प्रमुख बात है। लेकिन चीन के मुद्दे पर जो बाइडेन का रुख अभी तक साफ नहीं है कि वे चीन की नीतियों के खिलाफ है या फिर चीनी नीतियों के समर्थन में है?
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