कोणार्क के सूर्य मंदिर को समुद्री यात्री कहते थे ‘ब्लैक पगोडा’, ऐसा क्यों जानिए रहस्य

भारत हिंदू बाहुल्य देश है यहाँ कदम कदम पर हिंदू धर्म के अनुयायीओं के द्वारा मंदिरों का निर्माण किया गया है। ऐसे में यहाँ बहुत से ऐतिहासिक मंदिर भी है जो सदियों से लोगों के आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं। जिनकी चर्चा भारत में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में होती है। इन्हीं में से एक कोणार्क का सूर्य मंदिर। कोणार्क के सूर्य मंदिर को समुद्री यात्री कहते थे 'ब्लैक पगोडा', ऐसा क्यों जानिए रहस्य

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भारत हिंदू बाहुल्य देश है यहाँ कदम कदम पर हिंदू धर्म के अनुयायीओं के द्वारा मंदिरों का निर्माण किया गया है। ऐसे में यहाँ बहुत से ऐतिहासिक मंदिर भी है जो सदियों से लोगों के आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं। जिनकी चर्चा भारत में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में होती है। इन्हीं में से एक कोणार्क का सूर्य मंदिर। यह भारत के विषेश सूर्य मंदिरों में से एक है। देश विदेश के लोग इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं।

यह मंदिर अपनी पौराणिकता और आस्था के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है, लेकिन इसके अलावा और भी कई वजहें हैं, जिनकी वजह से इस मंदिर को देखने के लिए दुनिया के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं।

लाल रंग के बलुआ पत्थरों और काले ग्रेनाइट के पत्थरों से बने इस मंदिर का निर्माण अब तक एक रहस्य ही बना हुआ है। हालांकि ऐसा माना जाता है कि इसे 1238-64 ईसा पूर्व गंग वंश के तत्कालीन सामंत राजा नरसिंह देव प्रथम द्वारा बनवाया गया था। वहीं, कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर को भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने बनवाया था ऐसी मान्यता है ।

एक समय में समुद्री यात्रा करने वाले लोग इस मंदिर को ‘ब्लैक पगोडा’ कहते थे, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह जहाजों को अपनी ओर खींच लेता था, जिसकी वजह से वह दुर्घटनाग्रस्त हो जाते थे। इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर के शिखर पर 52 टन का एक चुंबकीय पत्थर लगा हुआ था, जिसके प्रभाव से वहां समुद्र से गुजरने वाले बड़े-बड़े जहाज मंदिर की ओर खिंचे चले आते थे, जिससे उन्हें भारी क्षति हो जाती थी। कहते हैं कि इसी वजह से कुछ नाविक उस पत्थर को निकालकर अपने साथ लेकर चले गए।

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