रूस और भारत के बीच हुई हेलीकॉप्टर डील में भारत की तरफ से देरी होने, पर रूस ने सवाल उठाते हुए कहा है कि, हमें समझ नहीं आ रहा है कि भारत सरकार इस डील में देरी क्यों कर रही है?
भारत और रूस के बीच हेलीकॉप्टर की ख़रीददारी के लिए साल 2015 में सहमति बनी थी। उस वक़्त भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय सेना के लिए 200 हेलीकॉप्टर खरीदने की बात की थी। इसके लिए क़रीब 7100 करोड़ रुपये की डील भी तय की गयी थी। भारत को रूस के बने 60 कामोव केए 226-टी हेलिकॉप्टर्स रेडी टू यूज कंडीशन में मिलने थे, जबकि 140 हेलिकॉप्टर ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के तहत भारत में ही बनने थे। भारत ने नौसेना के लिए अलग से 100 हेलिकॉप्टर खरीदने पर भी बात की थी। लेकिन अभी तक ये हेलीकॉप्टर भारत तक नहीं पहुँच सके हैं। बताया जा रहा कि इस डील में देरी भारत की तरफ़ से ही हो रही है।
ऐसे में रूस में हेलिकॉप्टर बनाने वाली कंपनी रोस्टेक के चीफ एग्जीक्यूटिव एंड्री बोगिंस्की ने कहा है कि, “हमने भारत के रक्षा मंत्रालय को समझौते की सभी अहम जानकारियां मुहैया करा दी हैं। लेकिन भारत की तरफ से अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। हम देरी का कारण नहीं समझ पा रहे हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि , “रूसी हेलिकॉप्टर अभी भारत की तरफ से औपचारिक रिक्वेस्ट लेटर का इंतजार कर रहे हैं।”
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