ओलंपिक खेलों में किसी भी खिलाड़ी के लिए पदक जीतना खुद में ही एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है और अगर अपने खेल में पदक जीतने वाला कोई खिलाड़ी इतिहास का पहला खिलाड़ी बने तो ये लम्हा इतिहास के पन्नो में हमेशा के लिए दर्ज हो जाता है। ऐसा ही एक नाम है साक्षी मलिक का। 2016 ओलंपिक खेलों में साक्षी मालिक कुश्ती में कांस्य पदक जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी थीं। उनसे पहले आज तक कोई भी महिला कुश्ती में भारत के लिए ओलंपिक मेडल नहीं जीत पाया था। अब टोक्यो में होने वाले ओलंपिक में एक बार फिर साक्षी से देश को मेडल की उम्मीदें होंगी।
साल 2016 में ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में हुए ओलंपिक खेलों में साक्षी ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया था। साक्षी मलिक ने महिलाओं की फ्रीस्टाइल कुश्ती के 58 किग्रा भार वर्ग में भारत के लिए कांस्य पदक जीता था। इतिहास लिखने वाली साक्षी मालिक के लिए कांस्य पदक जीतना आसान नहीं था क्योंकि उनके सामने एक ऐसी चुनौती थी जो किसी भी खिलाड़ी को बैकफुट पर धकेल दे।
उस समय साक्षी को 6 घंटे के भीतर चार बार कुश्ती के लिए रिंग में उतरना पड़ा था। रियो ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में साक्षी मलिक को रूस की पहलवान के हाथों हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद साक्षी मलिक को Repechage के जरिए दूसरे राउंड में खेलने का मौका मिला, जहां इस भारतीय पहलवान ने लगातार दो मुकाबले जीतकर भारत के लिए इतिहास रचा।
इसके बाद मेडल जीतने के लिए साक्षी कजाकिस्तान की पहलवान के सामने रिंग में उतरी। साक्षी पहले ही राउंड में 0-5 से पिछड़ चुकी थी। हर किसी की नज़र साक्षी पर थी। साक्षी भी खुद इस बात अच्छे से जानती थीं। जिसके बाद साक्षी ने मुकाबले के कुछ मिनटों पहले स्कोर को 5-5 पर लाकर पूरे खेल को ही बदल कर रख दिया। मुकाबले को बराबरी पर लाने के बाद साक्षी ने आखिरी 9 सेकंड में पॉइंट्स लेकर मेडल देश की झोली में डाला।
साक्षी की उपलब्धियां
2016 रियो ओलंपिक में इतिहास रचने का बाद साक्षी को राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड से नवाजा गया। 2017 में साक्षी को राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री मिला। राज्य सरकार, खेल मंत्रालय और अन्य संस्थानों से उनको अब तक 6 करोड़ रुपये के करीब नकद पुरस्कार भी मिल चुका है। साल 2014 ग्लास्गो में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में साक्षी मलिक ने देश के लिए सिल्वर मेडल जीता था। 2017 में उन्होंने भारत में हुई एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था।
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