मलखम्ब भारत का एक पारम्परिक खेल है जिसमें खिलाड़ी लकड़ी के एक खम्भे या रस्सी के उपर तरह-तरह के करतब दिखाते हैं। इसमें प्रयुक्त लकड़ी के खंबे को ‘मल्लखम्भ’ ही कहा जाता है। यह मध्य प्रदेश का आधिकारिक खेल है जिसे 2013 घोषित किया गया था। अगले साल टोक्यो ओलंपिक में पहली बार मलखंभ को खेलों के महाकुंभ में शामिल किया जाएगा जिसमें करीब 46 भारतीयों का दल हिस्सा लेगा।
कब हुई इस खेल की शुरुआत?
19वीं शताब्दी में पेशवा बाजीराव-II के गुरु श्री बालम भट्ट दादा देवधर ने इस विधा को एक नई पहचान दी। इसके बाद सन 1958 में पहली बार नेशनल जिमनास्टिक चेम्पियनशिप के तहत मलखंभ को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में शामिल किया गया।
खेलों इंडिया में शामिल किया गया मलखंभ
2013 में मलखंभ को मध्यप्रदेश का राजकीय खेल घोषित करने के बाद इसे खेलो इंडिया में भी शामिल किया गया। जिसके बाद इस खेल को अलग पहचान मिलनी शुरू हुई। रिपोर्ट्स की माने तो अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके मलखंभ के चिन्हित खिलाड़ियों पर सरकार प्रतिवर्ष 5 लाख रूपये खर्च कर रही है। जबकि केंद्र सरकार ने देश भर में मलखंभ के 100 राष्ट्रीय सेंटर खोलने का निर्णय भी लिया है।
ओलंपिक में दिखेगा मलखंभ का जलवा
टोक्यो 2021 ओलंपिक में पहली बार मलखंभ का जलवा देखने को मिलेगा। 46 भारतीय मलखंभ में अपने देश के लिए जीतने के इरादे से टोक्यो जाएंगे। टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मलखंभ फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट रमेश इंदोलिया ने कहा है कि मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों के कुल 46 खिलाड़ी मलखंभ में हिस्सा लेने टोक्यो जाएंगे।
अन्य देश इस बात को अच्छे से जानते हैं कि मलखंभ में भारत का कोई मुकाबला नहीं है। ऐसे में अगले साल जापान के टोक्यो में होने वाले ओलंपिक में भारत के लिए मलखंभ में मेडल आने की उम्मीद की जा सकती है।
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