22 सालो तक विंटर ओलंपिक में बतौर ल्यूज़ एथलीट भारतीय तिरंगे का प्रतिनिधित्व करने वाले शिवा केश्वन का नाम आप लोगों ने शायद ही कभी सुर्ख़ियों में सुना होगा। लेकिन ये सच है कि विंटर ओलंपिक खेलों में शिवा बर्फ पर सबसे तेज स्पीड निकालने वाले भारतीय रहे है। उन्होंने करीब 2 दशकों तक इस खेल में अकेले भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
1998 विंटर ओलंपिक में शिवा ने पहली बार हिस्सा लिया था। तब उनकी उम्र महज 16 साल की थी। वह इस गेम में हिस्सा लेने वाले दुनिया के सबसे युवा ओलंपिक खिलाड़ी बने। शिवा 1998, 2002, 2006 और 2010 और 2014 और 2018 विंटर ओलंपिक में भाग ले चुके है। 2018 उनका आखिरी विंटर ओलंपिक था। शिवा ने 2011 में भारत को पहली बार ल्यूश गोल्ड दिलाया था।
भले ही ओलंपिक खेलों में भारत को शिवा ने अभी तक कोई मेडल न दिलाया हो लेकिन वह लगातार उस खेल में भारत का मान बढ़ाते रहे जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते है। शिवा की कहानी काफी संघर्षपूर्ण रही है। जब उन्होंने पहली बार विंटर ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था जब उनके पास न तो कॉस्ट्यूम थी और न स्लेज। वह नागानो भी अपने खर्चे पर आये थे।
2014 में भी वह चैरिटी जुटाकर ओलंपिक खेले थे। उस समय आर्थिक संकट से जूझ रहे केश्ववन की मदद के लिए 50 हजार लोगों ने अपना हाथ बढ़ाया था। 22 वर्षों के खेल में शिवा केश्वन 4 गोल्ड और 4 सिल्वर मेडल अपने नाम कर चुके है। शिवा केश्वन के इसी योगदान के लिए 29 अगस्त को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित करेंगे। भले ही शिवा केश्वन खेलों की दुनिया को अलविदा कह चुके हो लेकिन ये देश उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा।
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