जानिए रुपए का इतिहास, कैसे बना भारत की राष्ट्रीय मुद्रा, किस तरह हुआ इसके प्रारूप में बदलाव

समय के साथ हमारे जेब में रखे हुए रुपए की शक्ल भी बदल रही है। हुमायूं को हराने के बाद सूरी साम्राज्य स्थापित करने वाले शेरशाह सूरी ने पहली बार रुपए का इस्तेमाल भारत में किया था।

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आप सभी जानते हैं कि प्रत्येक देश की अपनी राष्ट्रीय मुद्रा होती है। ठीक उसी प्रकार भारत की राष्ट्रीय मुद्रा है रुपया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वक्त के साथ-साथ आपके जेब में रखे हुए रुपए की शक्ल भी बदलती जा रही है? क्या आपने कभी सोचने की कोशिश की है कि भारत में सबसे पहला रुपया कब बना? रुपया शब्द कहां से आया?

1540 में हुमायूं को हराने के बाद सूरी साम्राज्य स्थापित करने वाले शेरशाह सूरी ने 1540 से 1545 के बीच इस शब्द का इस्तेमाल भारतीय मुद्रा के लिए किया था। अगर आप इतिहास में जानने जाएंगे तो आपको पता चलेगा कि 6वी सदी ईसा पूर्व के वक्त से रुपए का संबंध बताया जाता है। यह भी माना जाता है कि संस्कृत शब्द के “रुप्यक्म” से रुपया लिया गया है।

शेरशाह सूरी के समय जो रुपया इस्तेमाल में लाया जाता था, उसका वजन 11.34 ग्राम हुआ करता था। हालांकि 10 ग्राम से बने सिक्के को रुपया कहा जाता था। शेर शाह सूरी ने सोने और तांबे का सिक्का चलाया था। मुग़ल, मराठा और ब्रिटिश साम्राज्य में भी रुपए का इस्तेमाल हुआ। बीसवीं सदी में खाड़ी देशों और अरब मुल्कों में भारतीय रुपए का प्रचलन था। बाद में आरबीआई के निर्माण के बाद इसे खाड़ी रुपए के रूप में अलग कर दिया गया।

कागज के रुपए की प्रचलन की बात करें तो 1770 से 1832 के बीच पहली बार रुपए की शुरुआत बैंक ऑफ हिंदुस्तान के द्वारा हुई। बाद में 1 अप्रैल 1935 को जब रिजर्व बैंक बना, 1938 में बैंक ने ₹5 का पहला नोट जारी किया। उसके बाद इसी साल ₹10, ₹100, 1000 और ₹10000 के नोट रिजर्व बैंक ने जारी किए थे। सन 1940 में ₹1 का नोट जारी हुआ और उसके बाद 1947 में ₹2 का नोट आरबीआई की ओर से जारी किया गया। सन 1957 में ₹1 के नोट को पैसों में बांट दिया गया। जिसके बाद एक दो, तीन, पांच और दस पैसे के सिक्के का चलन धीरे-धीरे शुरू हुआ।

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