कई सालों बाद भारत के लिए एक नई शिक्षा नीति लागू की गई है। इस पर विचार करने के लिए केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बुधवार को कोविड-19 उपरांत शिक्षा विषय पर डिजिटल सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने एक ऐलान किया कि अब कोई भी विश्वविद्यालय केवल 300 महाविद्यालयों को मान्यता दे पाएगा। 300 से अधिक महाविद्यालयों को मान्यता कोई भी विश्वविद्यालय नहीं दे सकता।
निशंक ने बताया, “जब मैं एक विश्वविद्यालय में गया और मैंने कुलपति से पूछा कि आपके विश्वविद्यालय से कितने महाविद्यालय को मान्यता मिली है? तो उनका कहना था 800 डिग्री कॉलेज, मुझे लगा कि मैंने गलत सुन लिया! मैंने दोबारा पूछा कितने? उन्होंने कहा 800। मैंने कहा, क्या कोई कुलपति 800 महाविद्यालयों के प्राचार्यो का नाम याद रख सकता है।”
शिक्षा मंत्री ने कहा, “आप इतने अधिक महाविद्यालयों की गुणवत्ता और कामकाज पर नजर नही रख सकते हैं। यही वजह है कि हम कह रहे हैं कि नई शिक्षा नीति में चरणबद्ध तरीके से इस पर काम किया जाएगा। एक विश्वविद्यालय 300 से अधिक महाविद्यालयों को मान्यता नहीं दे सकता। उसके लिए हमें विश्वविद्यालय बढ़ाने होंगे तो हम बढायेंगे।”
कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित एक ई कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा था, “जहां तक संभव हो पांचवी कक्षा के बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने नई शिक्षा नीति के बारे में कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद देश के किसी भी क्षेत्र में किसी भी वर्ग से यह बात नहीं उठी कि इसमें किसी तरह का पक्षपात है या यह शिक्षा नीति किसी की ओर झुकी हुई है।”
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