कभी-कभी कहा जाता है कि दोस्ती में समझा-बुझाकर काम करना चाहिए। अन्यथा दोस्त ही आपका सबसे बड़ा दुश्मन बन कर तैयार हो जाता है। ठीक वैसा ही इस समय पाकिस्तान के साथ हो रहा है। पाकिस्तान ने कुछ दिनों पहले सऊदी अरब को धमकाया था कि वह धारा 370 के हटने पर और कश्मीर मुद्दे पर कुछ भी नहीं बोलता है। यही बात सऊदी अरब को बुरी लग चुकी है और सऊदी अरब ने यह निर्णय कर दिया कि अब न तो वह पाकिस्तान को तेल देगा, न ही कर्ज देगा और इसके अलावा सऊदी अरब ने अब वसूली भी शुरू कर दी है। पाकिस्तान और सऊदी अरब की सालों से चली आई मित्रता आज समाप्त हो गई है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सार्वजनिक तौर पर सऊदी अरब की आलोचना की थी और कश्मीर मुद्दे पर भी सऊदी अरब को धमकाया था। जिसके बाद सऊदी अरब ने यह साफ तौर पर कह दिया है कि न तो तेल की सप्लाई दी जाएगी न ही कर्ज दिया जाएगा। इतना ही नहीं पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर का कर्ज चुकाने पर भी मजबूर होना पड़ा। 2018 में सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 6.2 अरब डॉलर का कर्ज दिया था। यह उसी का हिस्सा माना जा रहा है। मिडिल ईस्ट मॉनिटर की रिपोर्ट के अनुसार जब सऊदी अरब के क्रॉउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पिछले साल फरवरी में पाकिस्तान की यात्रा की तब इस सौदे पर हस्ताक्षर किए गए थे। सऊदी अरब द्वारा पाकिस्तान का दाना-पानी बंद करने का यह फैसला उस बयान के बाद आया जिसमें पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ, सऊदी अरब के न बोलने पर सवाल उठाए थे।