ऑस्ट्रेलिया की सरजमी पर भारतीय टीम ने वो कारनामा कर दिखाया है जिसके बाद खुद कंगारू टीम भी भारत की तारीफे करेती नहीं थक रही है। सिडनी के मैदान पर दोनों देशों के बीच जारी बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी का तीसरा मुकाबला ड्रॉ रहा। जिसके चलते दोनों टीमें अभी भी 4 टेस्ट मैचों की इस श्रृंखला में 1-1 की बराबरी पर बनी हुई है। अब इस सीरीज का आखिरी और निर्णायक मुकाबला ब्रिसबेन के मैदान पर खेला जाएगा। वहीं अगर इस मुकाबले की बात करें तो टीम इंडिया के लिए ये मुकाबला किसी ऐतिहासिक मुकाबले से कम नहीं रहा। क्योंकि टीम इंडिया ने सिडनी टेस्ट की चौथी पारी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 131 ओवर खेले, जो 41 साल बाद टेस्ट क्रिकेट में उसने यह कारनामा किया है। भारतीय टीम ने ड्रॉ हुए मैच की चौथी पारी में इससे पहले 1980 में पाकिस्तान के खिलफ 131 ओवर खेले थे।
एक समय जीत की दावेदार मानी जा रही ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ भारतीय बल्लेबाजों ने शानदार खेल दिखाया। रिषभ पंत, अश्विन, जडेजा और हनुमा विहारी ने चोटिल होने के बाद भी हार ना मानने का जज्बा दिखाया और इस मैच को ड्रॉ तक ले जाने में अहम भूमिका निभाई। इस ड्रॉ के साथ ही कप्तान अजिंक्य रहाणे ने टेस्ट में अपनी कप्तानी में एक भी मुकाबला न हारने के रिकॉर्ड को कायम रखा है।
पंत और पुजारा की शानदार साझेदारी
पांचवे दिन का खेल शुरु होते ही टीम इंडिया ने रहाणे के विकेट को खो दिया था। जिसके बाद एक समय ऐसा लग रहा था कि मानो ऑस्ट्रेलिया इस मुकाबले को आसानी से जीत जाएगी। लेकिन इसके बाद मैदान पर आए रिषभ पंत ने पुजारा के साथ मिलकर पांचवे विकेट के लिए 148 रनों की पार्टनरशिप की। पंत ने 118 गेंदों पर 97 रनों की पारी खेली। पंत भले ही अपने शतक से चूक गए हो लेकिन उनकी बल्लेबाजी देख कर एक समय ऐसे लग रहा था कि वह मैच को भारत की झोली में डाल देंगे।
अश्नि और विहारी ने जीता दिल
पंत और पुजारा के बाद हनुमा विहारी और रविचंद्रन अश्विन ने जिस तरह से पिच पर खुद का लोहा मनवाया वह दशकों बाद तक याद रखा जाएगा। मांशपेशियों में खिंचाव के बावजूद विहारी ने 161 गेंदों का सामना किया और 23 रन बनाकर नाबाद रहे। विहारी ने अश्विन के साथ मिलकर छठे विकेट के लिए 258 गेंदों में 62 रनों की साझेदारी की। अश्विन भी 128 गेंद खेलकर 39 रनों पर नाबाद रहे।
क्या रहा मैच का हाल
टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने मैदान पर उतरी ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में कप्तान स्टीव स्मिथ की शतकीय पारी की बदौलत 338 रनों का स्कोर खड़ा कर दिया था। इसके बाद टीम इंडिया अपनी पहली पारी में 244 रन ही बना सकी। ऑस्ट्रेलिया ने अपनी दूसरी पारी 312 रनों पर घोषित कर दी और भारत के सामने 407 रनों का लक्ष्य रखा। मैच के आखिरी दिन भारत ने 98 रनों पर 2 विकेट के साथ शुरु की थी। पांचवे दिन की शुरुआत में ही रहाणे के विकेट के बाद ऑस्ट्रेलिया अपनी जीत पक्की मान चुका था। लेकिन इसके बाद वो देखने को मिला जिसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी। पंत की 97, पुजारा 77, हनुमा विहारी नाबाद 23 और अश्विन नाबाद 39 रनों के योगदान से टीम इंडिया इस मुकाबलो को ड्रॉ करा पाने में कामयाब रही।